Bihar GST Reform: जीएसटी सुधार का जादू, बिहार के खजाने में 41 हजार करोड़ की बंपर बढ़ोतरी की उम्मीद, जानिए आंकड़ों का खेल

Bihar GST Reform: जीएसटी सुधार के बाद बिहार सरकार के खजाने में साल भर में 41,651 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। ....

बिहार के खजाने में होगी 41 हजार करोड़ की बंपर बढ़ोतरी - फोटो : social Media

Bihar GST Reform: जीएसटी नियमों में हालिया सुधारों ने बिहार की आर्थिक तस्वीर बदलने की नई संभावनाएं जगा दी हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया  की रिसर्च टीम के मुताबिक, सुधार के बाद राज्य सरकार के खजाने में साल भर में 41,651 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। यह अनुमान उस समय का है जब अभी की स्थिति में कर वसूली में थोड़ी गिरावट देखने को मिल रही है।

रिपोर्ट कहती है कि अगर सुधार न हुए होते तो वित्तीय वर्ष 2026-27 में बिहार की जीएसटी वसूली महज़ 22,622 करोड़ रुपये तक सिमट सकती थी। लेकिन अब नए नियमों के चलते यही आंकड़ा 64,273 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। दिलचस्प यह है कि यह अनुमान भी सबसे खराब स्थिति No Consumption Growth Scenario को ध्यान में रखकर लगाया गया है। यानी अगर उपभोक्ता मांग और बाज़ार विस्तार में कोई इज़ाफ़ा नहीं हुआ तब भी बिहार को यह लाभ मिलेगा। जबकि ज़मीनी सच्चाई यह है कि जीएसटी सुधारों से उपभोग में इज़ाफ़ा तय माना जा रहा है—खासकर रोज़मर्रा की सामग्री और सेवाओं की खपत बढ़ने की पूरी उम्मीद है।

आंकड़ों पर नज़र डालें तो वर्ष 2023-24 में बिहार में 27,622 करोड़ की जीएसटी वसूली हुई थी। इसके मुकाबले 2024-25 में यह बढ़कर 29,359 करोड़ 76 लाख रुपये तक पहुंच गई—यानी करीब 6 फ़ीसदी की वृद्धि। यह दर्शाता है कि सुधारों से पहले भी उपभोग और कर वसूली की रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ रही थी।

 अर्थशास्त्री डॉ रामानंद पाण्डेय का मानना है कि 2026-27 तक पूरे देश में जीएसटी वसूली 20 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाएगी। इसमें केंद्र सरकार और राज्यों दोनों की हिस्सेदारी बराबर रहेगी यानी 10-10 लाख करोड़ रुपये। केंद्र द्वारा वसूले गए कर का 41 फ़ीसदी हिस्सा राज्यों को लौटाया जाएगा, जो करीब 4 लाख 10 हजार करोड़ रुपये होगा।

बिहार की हिस्सेदारी केंद्रीय करों में 10 फ़ीसदी तय है। इस हिसाब से केवल जीएसटी मद में ही बिहार को केंद्र से 41 हजार करोड़ रुपये की मोटी राशि प्राप्त होगी।

अर्थशास्त्री डॉ रामानंद पाण्डेय का मानना है कि यह बढ़त बिहार को न सिर्फ विकास परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधन देगी बल्कि चुनावी राजनीति में भी बड़ा हथियार साबित होगी।