PATNA HIGHCOURT - पटना सहित बिहार के कई शहरों में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार, वरीय अधिवक्ता को बनाया एमिकस क्यूरी

बिहार में ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए सख्ती से नियमों का पालन नहीं करने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। मामले में हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि प्रदूषण बोर्ड इस मामले में कुछ भी नहीं कर रही है।

PATNA HIGHCOURT - पटना सहित बिहार के कई शहरों में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार, वरीय अधिवक्ता को बनाया एमिकस क्यूरी
ध्वनि प्रदूषण पर हाईकोर्ट नाराज- फोटो : NEWS4NATION

PATNA - पटना हाईकोर्ट ने राजधानी पटना समेत अन्य शहरों में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।जस्टिस राजीव रॉय ने सुरेंद्र प्रसाद की याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य के निवासी लगातार कई तरह की प्रदूषण को झेल रहे है ।

 कोर्ट ने कहा कि राज्य के नागरिक व राजधानी पटना  में शोर/ध्वनि प्रदूषण पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही इस मामलें में कोर्ट को सहयोग करने के लिए वरीय अधिवक्ता अजय को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि शहर में ऑर्केस्ट्रा/डी.जे. ट्रॉली और सांस्कृतिक कार्यक्रम करने वाले लोग पूरी तरह से भूल गए हैं कि वे किस तरह का ध्वनि/ध्वनि प्रदूषण पैदा कर रहे हैं। वरीय अधिवक्ता अजय ने कोर्ट को बताया कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर बनाये गये कानून मे ध्वनि प्रदूषण पर प्रतिबंधों के प्रकार को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। उनके अनुसार लाउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति लेना अनिवार्य है।

लाउड स्पीकर की जगह डीजे ने ली

यहाँ तक कि लाउडस्पीकर को जब्त भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आज लाउडस्पीकर का जगह डीजे ने ले लिया है। अब एक ट्रॉली में कई स्पीकर लगे होते हैं जो शहर के विभिन्न अस्पतालों सहित सभी रास्तों हो कर गुजरते हैं। ध्वनि का स्तर निर्धारित स्तर से लगभग हजार गुना अधिक होता है। 

मरीजों को होती है परेशानी

इससे न केवल हृदय रोग से पीड़ित लोग, वृद्ध लोग प्रभावित होते हैं। कुछ मामलों में तो गर्भवती महिलाओं का गर्भपात भी हो चुका है। इसे नियंत्रित करने के लिए बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन किया गया है और अनुमति लेना अनिवार्य है। इसका उपयोग रात में खुले स्थान पर नहीं किया जा सकता है और उपयोग कहां किया जाना है, इसका विवरण कानून में स्पष्ट है।

यही नहीं, ध्वनि का स्तर 10 डीबी (ए) हैं। लेकिन किसी भी सूरत में  75 डीबी (ए) से अधिक नहीं हो सकता है। इसका उल्लंघन किये जाने पर दंड का प्रावधान किया गया है। 

कुछ नहीं कर रहा प्रदूषण विभाग

बोर्ड राज्य को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कुछ नहीं कर रहा है। इसके अलाव ध्वनि प्रदूषण से उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरे के अलावा स्कूल जाने वाले बच्चे, कॉलेज के युवा छात्र, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र प्रभावित होते है। उनका यह भी कहना था कि किसी भी कार्यक्रम के दौरान खुले स्थान पर ध्वनि का उच्च डेसिबल स्तर शहर के नागरिकों के जीवन को पूरी तरह से नरक बना देता है। 

विभाग ने किया बचाव, कहा हमारा काम सिर्फ सलाह देना

वही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरीय अधिवक्ता शिवेंद्र किशोर ने कोर्ट को बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक सलाहकारी निकाय है और उचित प्राधिकारी को सलाह दे सकता है। उन्होंने माना कि शहर के नागरिक होने के नाते उन्होंने भी ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है। शहर में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड की ओर से उठाए गए सभी तथ्यों और कदमों को कोर्ट के समक्ष पेश करने के लिए एक समय देने का अनुरोध किया।

कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड न केवल कार्य करे, बल्कि नियमों' के अनुरूप कार्य करते हुए दिखना चाहिए और परिणाम शहर के नागरिकों को दिखना चाहिए। कोर्ट ने सभी अधिवक्ताओ को अपना सुझाव देने के लिए स्वतंत्र हैं। वही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस बारे में  निदेशक और सचिव जल्द ही बैठक करे ,सुधारात्मक उपाय करेंगे। जिला प्रशासन (डीएम)व वरीय पुलिस अधीक्षक, को आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देश जारी किया जायेगा।  इस मामले पर अगली सुनवाई 14 फरवरी,2025 को होगी।

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