Bihar IAS shortage: आईएएस की कमी ने बढ़ाया बिहार में प्रशासन का बोझ, रोजगार और विकास की गति पर लगा ब्रेक, सरकार कैसे देगी 1 करोड़ रोजगार, पढ़िए हिला देने वाली रिपोर्ट

Bihar IAS shortage: बिहार में अधिकारियों की कमी किसी से छिपी नहीं है. भारतीय प्रशासनिक सेवा तक के अधिकारियों की भारी कमी है.....

आईएएस की कमी ने बढ़ाया बिहार में प्रशासन का बोझ- फोटो : social Media

Bihar IAS: बिहार में आईएएस अधिकारियों की कमी ने राज्य के प्रशासनिक तंत्र को चुनौतीपूर्ण स्थिति में डाल दिया है। प्रदेश में 359 पद स्वीकृत होने के बावजूद फिलहाल केवल 276 अधिकारी ही कार्यरत हैं, यानी 83 पद खाली हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि एक ही अधिकारी पर 5-6 बड़े विभागों की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सामान्य प्रशासन और गृह विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों के अफसर काम के बोझ में दबे हैं, जिससे सरकारी योजनाओं और विकास परियोजनाओं की गति धीमी हो रही है और आम लोगों पर इसका सीधा असर पड़ रहा है।

राज्य सरकार ने पांच साल में 1 करोड़ युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है। लेकिन अधिकारी की कमी, लंबित भर्ती, जमीन सर्वे और उद्योग संवर्धन में देरी इस लक्ष्य की राह में बड़ी बाधा बन रही है। 2012 में शुरू हुए जमीन सर्वे का 25% ही काम पूरा हो पाया है। उद्योग क्षेत्र में बिहार पिछड़े राज्यों में शामिल है और युवाओं को पलायन करना पड़ता है। वहीं, किसानों को समय पर उर्वरक और फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल पाता, जिससे कृषि की लागत बढ़ गई और आमदनी घट गई।

अधिकारी की कमी के पीछे एक कारण यह भी है कि बिहार कैडर के 30 आईएएस अधिकारी सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं और लौटने में अनिच्छुक हैं। इससे प्रशासनिक पदों पर खालीपन और काम के बोझ की समस्या और गंभीर हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी खाली पदों को एक साल के भीतर भरने के निर्देश दिए हैं, लेकिन शिक्षक भर्ती और जमीन सर्वे जैसी लंबित जिम्मेदारियों के मद्देनजर यह चुनौती बड़ी है।

कुल मिलाकर, बिहार में आईएएस अधिकारियों की कमी न केवल प्रशासनिक कार्यों की गति को प्रभावित कर रही है, बल्कि राज्य के विकास, रोजगार और किसान कल्याण की योजनाओं को भी बाधित कर रही है। यदि जल्द ही पदों की भर्ती और अधिकारियों की पर्याप्त तैनाती नहीं हुई, तो 1 करोड़ युवाओं को रोजगार देने का सपना और विकास की गति सुस्त पड़ सकती है।