नीतीश कैबिनेट विस्तार, इन नेताओं को मिल सकती है जगह, मंत्री के 9 खाली पद भरने की तैयारी शुरु

Bihar Cabinet Expansion: नीतीश कैबिनेट का विस्तार न सिर्फ सत्ता का नया नक्शा बनाएगा, बल्कि आने वाले वर्षों की राजनीति की ज़मीन भी तैयार करेगा यानी बिहार की सियासत में अभी कई पन्ने और पलटने वाले हैं।

Nitish Cabinet Expansion
नीतीश कैबिनेट विस्तार में इन नेताओं को मिल सकती है जगह- फोटो : social Media

Bihar Cabinet Expansion: बिहार की सियासत एक बार फिर गर्म है। एनडीए की बंपर जीत के बाद जहां नई सरकार गठन हो चुकै है, विधानसभा का सत्र भी शुरु हो चुका है। वहीं अब नीतीश कुमार की मंत्रिपरिषद में अगले महीने होने वाले विस्तार को लेकर हलचल तेज हो गई है। सत्ता के गलियारों में हर रोज नई चर्चा है कौन बनेगा नया मंत्री, किसको मिलेगा प्रमोशन और किसके हाथ से छिन सकता है कोई अहम महकमा। सूबे की ताज़ा सियासी हवा में मुलायमियत और  कड़ाई दोनों घुली हुई है।

फिलहाल नीतीश कैबिनेट में 9 कुर्सियाँ खाली पड़ी हैं जिनमें जेडीयू के छह और बीजेपी के तीन पद शामिल हैं। संवैधानिक इंतज़ाम के मुताबिक बिहार में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। एनडीए गठबंधन के फार्मूले के हिसाब से बीजेपी के हिस्से 17, जेडीयू के 15 (जिसमें सीएम भी शामिल), एलजेपी के 2 और हम व आरएलपी के एक-एक मंत्री तय किए गए हैं। इसी लिहाज़ से अब भी बीजेपी के 3 और जेडीयू के 6 मंत्री कैबिनेट में शामिल किए जा सकते हैं।

सूत्रों का दावा है कि जेडीयू इस बार राजनीतिक समीकऱण साधने के मूड में है। पार्टी की कोशिश रहेगी कि कुशवाहा समाज और अति पिछड़ा वर्ग के विधायकों को तवज्जो दी जाए, ताकि सत्ता का सामाजिक बैलेंस मजबूत रहे। मौजूदा स्थिति में जेडीयू के बिजेंद्र प्रसाद यादव के पास पांच, विजय चौधरी के पास चार, जबकि श्रवण कुमार और सुनील कुमार के पास दो-दो विभाग हैं। ऐसे में नए मंत्रियों को कुछ अहम विभागों का बंटवारा होना तय माना जा रहा है।

उधर बीजेपी कैंप में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। विजय सिन्हा, मंगल पांडेय, नितिन नबीन और अरुण शंकर प्रसाद के पास दो-दो विभाग हैं, लिहाज़ा पार्टी रणनीति बना रही है कि नए चेहरों को कहाँ फिट किया जाए और किन विभागों की अदला-बदली हो सकती है।

इस बीच राजनीतिक गलियारों में यह भी अफवाह उड़ी कि जेडीयू दूसरे दलों के विधायकों को तोड़कर अपने कैंप में मिलाने के फिराक में है। हालांकि जेडीयू के सूत्रों ने इसे साफ शब्दों में बकायदा खारिज कर दिया है। पार्टी का कहना है कि मौजूदा संख्या बल इतना मजबूत है कि किसी तरह की राजनीतिक इंजीनियरिंग  की इस वक्त कोई ज़रूरत नहीं।राज्यसभा चुनाव में अभी तकरीबन छह महीने बाकी हैं और एनडीए अपनी वर्तमान स्थिति में ही सभी पांच सीटें जीतने की मजबूत पोज़िशन में है। लिहाज़ा दूसरे दलों के समर्थन या जोड़-तोड़ की फ़िलहाल कोई सियासी मजबूरी नहीं दिखती।नीतीश कैबिनेट का यह विस्तार न सिर्फ सत्ता का नया नक्शा बनाएगा, बल्कि आने वाले वर्षों की राजनीति की ज़मीन भी तैयार करेगा यानी बिहार की सियासत में अभी कई पन्ने और पलटने वाले हैं।