Nepal Protest: नेपाल प्रदर्शन का असर! बिहार-नेपाल सीमावर्ती बाजारों में करोड़ों का नुकसान, बिजनेस हुआ मंदा
Nepal Protest: नेपाल में जारी हिंसक प्रदर्शनों से भारत-नेपाल सीमा पर व्यापार ठप हो गया है। रक्सौल, जयनगर और सीमावर्ती बाजारों में करोड़ों का नुकसान। पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट।
Nepal Protest affect Bihar: नेपाल में बीते तीन दिनों से चल रहे हिंसक प्रदर्शनों, आगजनी और तोड़फोड़ का असर सिर्फ नेपाल तक सीमित नहीं है। इसका सीधा प्रभाव भारत-नेपाल सीमा से लगे बिहार के बाजारों पर पड़ा है। सामान्य दिनों में जहां इन बाजारों की रौनक नेपाली ग्राहकों से बनी रहती थी, वहीं अब सन्नाटा पसरा है।
व्यापारियों का कहना है कि 80 से 90 फीसदी तक नेपाली ग्राहक कम हो गए हैं। अनुमान है कि कुल मिलाकर 200 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ है। अगर हालात जल्दी नहीं सुधरे तो छोटे व्यापारी गंभीर संकट में पड़ सकते हैं।
रक्सौल 100 करोड़ से अधिक का नुकसान
पूर्वी चंपारण के रक्सौल में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं।कपड़ा, रेडीमेड, इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी पार्ट्स, हार्डवेयर और परचून जैसे क्षेत्रों में 80% तक कारोबार प्रभावित।सिर्फ तीन दिनों में 100 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान।रक्सौल रेलवे स्टेशन पर भी यात्रियों की संख्या में भारी कमी देखी जा रही है।रक्सौल चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव राज कुमार गुप्ता ने कहा कि नेपाली ग्राहकों के बिना बाजार लगभग ठप हो गया है।
जयनगर रोजाना 20 करोड़ का घाटा
मधुबनी के जयनगर में भी कारोबार पर गहरा असर पड़ा है।तीन दिनों में लगभग 60 करोड़ रुपये का नुकसान।रोजाना करीब 20 करोड़ का कारोबार प्रभावित।सभी तरह के ऑर्डर बंद हो चुके हैं।जयनगर चैंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव अनिल बैरोलिया ने बताया कि बॉर्डर बंद होने से बाजारों में बिल्कुल गतिविधि नहीं है।
सीतामढ़ी और सुपौल ग्राहकों में 90% तक गिरावट
सीतामढ़ी के सोनबरसा, सुरसंड, परिहार, बैरगनिया और मेजरगंज बाजारों में नेपाली ग्राहकों की संख्या 90% तक कम हो गई है।सुपौल जिले में भी लगभग 25 से 30% कारोबार प्रभावित।सीमावर्ती बाजारों में दुकानदार बोहनी तक नहीं कर पा रहे हैं।
किशनगंज और पश्चिम चंपारण सन्नाटे का माहौल
किशनगंज जिले में भारत-नेपाल सीमा सील होने से ठाकुरगंज की गलगलिया, भातगांव और कादो गांव के बाजार पूरी तरह ठप।
नेपाल के बनियानी, बागान और कंचन कमल से आने वाले ग्राहक अब नहीं आ पा रहे हैं।पश्चिम चंपारण के इनरवा, भंगहा और मैनाटाड़ बाजारों में भी हालात ऐसे ही हैं।खाद्य पदार्थों, कपड़ा और दवाइयों की खरीदारी करने वाले नेपाली नागरिक अब नहीं आ रहे, जिससे दुकानदारों की चिंता बढ़ गई