Bihar Politics: आरजेडी में शुरू हुई घर की सफ़ाई, बिहार में हार के बाद बग़ियों पर गिरेगी गाज, तेजस्वी की नेतृत्व शैली पर भी उठे सवाल

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद आरजेडी अब अपने संगठन की समीक्षा में जुट गई है। पार्टी के अंदरूनी माहौल में बेचैनी और गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है।...

आरजेडी में शुरू हुई घर की सफ़ाई- फोटो : social Media

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद आरजेडी अब अपने संगठन की समीक्षा में जुट गई है। पार्टी के अंदरूनी माहौल में बेचैनी और गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है। समीक्षा बैठक में उम्मीदवारों और पदाधिकारियों ने उन बग़ियों की पूरी सूची प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल को सौंप दी है, जिन्होंने चुनावी दौर में पार्टी के खिलाफ काम किया। पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव के इशारे पर अब दर्जनों नेताओं पर कार्रवाई लगभग तय मानी जा रही है। यह भी साफ है कि इस बार कार्रवाई सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि सियासी अनुशासन को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी पहल होगी।

मंगलवार को पटना प्रमंडल की समीक्षा बैठक के अंतिम दिन जिला अध्यक्षों, प्रधान महासचिवों, पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और तमाम पदाधिकारियों ने खुलकर अपनी बातें रखीं। कार्यकर्ताओं ने दो-टूक कहा कि तेजस्वी यादव को अपने दरवाज़े और दिल दोनों संगठन के लिए खोलने होंगे। उन्होंने शिकायत की कि चुनाव से पहले और बाद में शीर्ष नेतृत्व तक अपनी बात पहुंच पाना लगभग नामुमकिन हो गया था। कई नेताओं ने कहा कि पार्टी तभी मजबूत होगी जब तेजस्वी पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं के मशविरों को गंभीरता से सुनेंगे और उनकी रहनुमाई में संगठन को आगे बढ़ाएंगे।

बैठक में ए-टू-ज़ेड वाली तेजस्वी की राजनीतिक परिकल्पना पर भी सवाल उठे। कई नेताओं ने स्पष्ट कहा कि 90 फ़ीसदी बहुसंख्यक सामाजिक आधार की बात किए बिना, और अतिपिछड़ों व अल्पसंख्यकों के सुख-दुख में खुद शामिल हुए बिना पार्टी मज़बूत नहीं हो सकती। कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान जातीय हिंसा को बढ़ावा देने वाले गाने चलाना हार का एक बड़ा कारण बना। इससे पार्टी की छवि पर नकारात्मक असर पड़ा।

आरजेडी कार्यकर्ताओं ने एक और अहम मुद्दा उठाया गरीब कार्यकर्ताओं की चुनावी लड़ाई। उन्होंने पूछा कि आखिर गरीब और जमीनी कार्यकर्ता चुनाव कैसे लड़ें? क्या पार्टी अपने संसाधनों से कम-से-कम दस गरीब उम्मीदवारों को चुनाव लड़वा सकती है? यह सवाल संगठन की आर्थिक और नैतिक प्रतिबद्धता पर सीधा निशाना था।

पटना में संगठन की कमजोरी को भी कई नेताओं ने हार की जड़ बताया। उनका कहना था कि राजधानी में संगठन को मजबूत करने का प्रयास ही नहीं किया गया, जबकि राजनीतिक लड़ाई का बड़ा मैदान यहीं है। साथ ही हरियाणा के लोगों की पार्टी में अचानक बढ़ती सक्रियता पर भी सवाल खड़े हुए इशारा साफ था कि बाहरी प्रभाव से संगठन में असंतुलन पैदा हो रहा है।

कुल मिलाकर, आरजेडी की समीक्षा बैठक सियासी आत्ममंथन से आगे बढ़कर कठोर कार्रवाई की ओर बढ़ती दिखाई दी। पार्टी के भीतर साफ संदेश है अब या तो अनुशासन क़ायम होगा, या फिर संगठन टूटता जाएगा।