Bihar Politics : नीतीश सरकार में सड़कें बनीं विकास का मार्ग, बिहार बना प्रगति का प्रतीक: डॉ मधुरेंदु पांडेय

PATNA : जद (यू) मीडिया पैनलिस्ट डॉ मधुरेंदु पांडेय ने सोशल संवाद करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए की डबल इंजन सरकार की बदौलत आज बिहार की पहचान पिछड़ेपन से निकलकर प्रगति और सुशासन की बनी है। साल 2005 की स्थिति आज भी लोगों को याद है—टूटी-फूटी सड़कें, खस्ताहाल स्कूल, जर्जर बुनियादी ढांचा और चारों तरफ अराजकता। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने न्याय के साथ विकास का संकल्प लेकर बिहार को बदलने का काम किया। साल 2005 में सत्ता संभालने के बाद उन्होंने संकल्प लिया कि, बिहार के किसी भी कोने से राजधानी पटना तक अधिकतम छह घंटे में पहुँचना संभव होगा। यह सपना उन्होंने पूरा कर दिखाया। आज हालत यह है कि राज्य के किसी भी हिस्से से पटना तक 5 से 6 घंटे में पहुँचना संभव है और वर्ष 2027 तक नया लक्ष्य तय किया गया है कि बिहार के किसी भी कोने से राजधानी तक केवल 3.5 घंटे में पहुँचा जा सकेगा।

राज्य में आज सड़कों का जाल बिछ चुका है। कभी साइकिल से चलना भी मुश्किल था, अब गाड़ियों की रफ्तार 100 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुँच गई है। गाँव-गाँव तक कनेक्टिविटी स्थापित हो चुकी है। ग्रामीण सड़क और पुल निर्माण योजनाओं ने गाँव से राजधानी तक की दूरी को न सिर्फ घटाया है बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार और रोजगार के अवसरों को भी गाँव-गाँव पहुँचाया है। पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे, रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे, गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे, बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे और वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाएँ बिहार की तस्वीर बदल रही हैं। इनके पूरा होने पर बिहार न सिर्फ देश बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी तीव्र गति से जुड़ेगा और निवेश व उद्योग को नई दिशा मिलेगी।

पाण्डेय ने कहा की आज बिहार की पहचान शानदार सड़कों और पुलों के निर्माण से होती है। पहले जहाँ 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में आधा घंटा लगता था, वहीं आज एक घंटे का सफर 10 मिनट में पूरा हो रहा है। यही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में 11,000 से ज्यादा सड़कों और 700 से अधिक छोटे पुलों का निर्माण हुआ है। हाल ही में 704 नए पुलों का काम शुरू हुआ है।

कहा की गुड गवर्नेंस इंडेक्स 2020-21 में बुनियादी ढाँचा और यूटिलिटी सेक्टर में बिहार देशभर में पहले स्थान पर रहा है। यह केवल सड़कों की मजबूती नहीं, बल्कि सुशासन की सफलता की गवाही है। बेहतर सड़क नेटवर्क से किसानों को अपनी उपज बड़े बाजारों तक पहुँचाने का अवसर मिला है, उद्योगपतियों ने बिहार में निवेश की रुचि दिखाई है और पर्यटन व शिक्षा को नई गति मिली है। 2005 से पहले बिहार को बीमारू राज्य कहा जाता था, लेकिन आज बिहार को ग्रोथ इंजन कहा जाता है। यह सब संभव हुआ है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ईमानदार नेतृत्व, स्पष्ट नीयत और जनता के अटूट विश्वास से।