गज़ब तबादले की अजब कहानी! पटना लाए गए 11 इंस्पेक्टर की जानिए बारी बारी कहानी! ये संभालेंगे विधि व्यवस्था! सर पीट लीजिएगा

राजधानी पटना में अपराध पर नकेल कसने और विधि व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से बिहार पुलिस मुख्यालय ने एक बड़ी प्रशासनिक पहल करते हुए 11 पुलिस इंस्पेक्टरों का तबादला किया है.लेकिन इस तबादले में शामिल इंस्पेक्टरों के कारनामो की हकीकत जानकर आप सर प

गज़ब तबादले की अजब कहानी! पटना लाए गए 11 इंस्पेक्टर की जानिए बारी बारी कहानी!- फोटो : REPORTER

N4N डेस्क। राजधानी मे क्राइम कंट्रोल और विधि व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद के तहत एसएसपी पटना के पत्र पर पुलिस मुख्यालय ने सूबे के विभिन्न जिलों में तैनात रहे 11 पुलिस इंस्पेक्टरों को पटना बुलाया है।इस बाबत आदेश जारी कर दिया गया है.लेकिन इस तबादले में शामिल इंस्पेक्टरों के कारनामो की हकीकत जानकर आप सर पीट लीजिएगा तो कुछ की करतूत आपको बेबसी में हसने पर मजबूर कर देगी. खैर देखिए पहले यह लिस्ट 

बिहार पुलिस मुख्यालय के कार्मिक एवं कल्याण प्रभाग द्वारा जारी आदेश में पहला नाम पूर्णिया जिले में तैनात रहे जितेंद्र राणा का है जो मूल रूप से बांका जिले के निवासी है. ये शराबबंदी कानून में लापरवाही बरतने को लेकर पूर्णिया सदर थाना के पूर्व थानाध्यक्ष के तौर पर दोषी पाए गए हैं.पूर्व आइजी रत्न संजय कटियार ने मद्य निषेध विभाग की छापामारी के बाद ना केवल निलंबित कर दिया था बल्कि पूर्व सदर थानेदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया था.


इनको पूर्णिया के पूर्व सदर थाना अध्यक्ष जितेन्द्र राणा शराबबंदी को सख्ती से लागू करने पर विफल मामले में विभागीय कार्रवाई में दोषी पाए गया.पूर्व सदर थाना अध्यक्ष को शराब बंदी काूनन सख्ती से नहीं लागू करने को लेकर पूर्व आइजी रत्न संजय कटियार ने मद्य निषेध विभाग की छापामारी के बाद ना केवल निलंबित कर दिया था बल्कि पूर्व सदर थाना अध्यक्ष के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया था.इस विभागीय कार्रवाई का संचालन पदाधिकारी धमदाहा के पुलिस उपाधीक्षक रमेश कुमार को बनाया गया था.कई महीनों तक चली विभागीय कार्रवाई के बाद आखिरकार विभागीय कार्रवाई के संचालन पदाधिकारी ने पूर्व थाना अध्यक्ष जितेन्द्र राणा को दोषी पाते हुए इस मामले में अपनी रिपोर्ट एसपी को भेज दी. तात्कालीन एसपी दयाशंकर ने भी विभागीय कार्रवाई की रिपोर्ट मिलने एवं इस रिपोर्ट में पूर्व थाना अध्यक्ष को दोषी पाए जाने की बात को स्वीकार किया.

आठ दिसम्बर 2021 को निलंबित किए गए थे जितेन्द्र राणा

प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर पूर्व सदर थाना अध्यक्ष जितेन्द्र राणा ने 29 नवम्बर 2020 को एक शपथ पत्र दायर किया था जिसमें उनके थाना क्षेत्र में देशी विदेशी शराब का निर्माण नहीं होने, भंडारण या तस्करी कारोबार नहीं होने की बात कही गयी थी. लेकिन थाना क्षेत्र के लोगों द्वारा लगातार पुलिस विभाग के वरीय पदाधिकारी एवं मद्य निषेध विभाग को शराब निर्माण, बिक्री, भंडारण एवं तस्करी की सूचना दी जा रही थी. वरीय अधिकारी एवं मद्य निषेध विभाग को लगातार मिल रही सूचना पर मद्य निषेध पटना से आई टीम ने थाना क्षेत्र के हजीरगंज वार्ड नंबर 45 में छापेमारी करने पहुंची. जहां दर्जनों घर में अवैध तरीके से देशी शराब निर्माण किया जा रहा था. भारी मात्रा में शराब निर्माण का कच्चा सामग्री बरामद हुआ था। छापेमारी कर मद्य निषेध टीम ने देशी शराब सहित कच्चे सामग्री गुड़, छोवा, स्प्रिट सहित अन्य सामान को जब्त किया था. कई घरों में बड़े पैमाने पर शराब कारोबार होने का मामला सामने आने पर तत्कालीन आइजी रत्न संजय कटियार के निर्देश पर थानाध्यक्ष को शराबबंदी कानून का पालन कराने में घोर लापरवाही बरतने के आरोप में सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई का निर्देश दिया गया था. मामले में थानाध्यक्ष के खिलाफ उत्पाद विभाग के इंस्पेक्टर रवीन्द्र कुमार रवि द्वारा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.


पूर्व थाना अध्यक्ष दोषी करार  

निलंबन के बाद जब विभागीय कार्रवाई शुरू की गयी तो इस मामले के संचालन पदाधिकारी धमदाहा डीएसपी रमेश कुमार बनाए गए. उन्होंने निर्धारित समय सीमिा तीन माह के अंदर विभागीय कार्रवाई पूरी कर रिपोर्ट भी सौंप दी. मगर पुलिस के आला अधिकारियों ने इस विभागीय कार्रवाई की रिपोर्ट को यह कहते हुए संचालन पदाधिकारी को वापस कर दिया की इसमें कई बिन्दुओं पर गहन जांच एवं कई लोगों के बयान आवश्यक है. इसके बाद संचालन पदाधिकारी द्वारा फिर से इन बिन्दुओं पर रिपोर्ट तैयार कर एसपी पूर्णिया को विभागीय कार्रवाई की रिपोर्ट सौप दी गयी जिसमें पूर्व थाना अध्यक्ष दोषी करार दिए गए.


विभागीय कार्रवाई के पूर्ण हुए बिना कैसे हुए निलंबनमुक्त

पूर्व सदर थाना अध्यक्ष जितेन्द्र राणा को ऊपर विभागीय कार्रवाई के बिना पूर्ण हुए ही निलंबन मुक्त किए जाने के मामले ने पूर्णिया के वरीय पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए है. अब जबकि विभागीय जांच में पूर्व थाना अध्यक्ष दोषी करार दिए गए हैं वैसे हालत में वरीय पुलिस अधिकारी जिनके द्वारा निलंबन मुक्त किया गया है वे अपने फैसले का बचाव कैसे करेंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा. वैसे जब पूर्व थाना अध्यक्ष को निलंबन मुक्त किया गया था तो इस संबंध में एसपी ने कहा था कि पूर्व थाना अध्यक्ष द्वारा उन्हें आवेदन दिया गया था जिसे उनके द्वारा वरीय अधिकारी आइजी के पास भेज दिया गया था. जबकि आइजी का कहना था कि पुलिस पदाधिकारियों की कमी के कारण निलंबन मुक्त किया गया है. वैसे में बड़ा सवाल है की राज्य सरकार जिस तरह से शराबबंदी के मामले में सख्त है वैसे हालत में पूर्णिया पुलिस के आला अधिकारी पदाधिकारियों की कमी की बात कहकर शराबबंदी के निर्देश को सही तरीके से अमलीजामा पहना रहे हैं क्या? प्रश्न बाद है मौन खड़ा है?