43 वर्ष बाद बिहार रचने जा रहा इतिहास, अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में जुटेंगे देश के सभी राज्यों के प्रतिनिधि, पटना में बड़ी तैयारी
अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन की शुरुआत का इतिहास रखने वाले बिहार में एक बार फिर से नया इतिहास रचा रहा है. 43 वर्ष बाद फिर से देश के सभी राज्यों विधानसभा अध्यक्ष और अन्य अधिकारी दो दिवसीय सम्मेलन में जुटेंगे.
All India presiding officer conference : बिहार में 43 वर्षों के बाद पीठासीन पदाधिकारी सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा. जिसमें अलग अलग राज्यों के 264 अतिथि शामिल होंगे. पटना में 20 जनवरी को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला 85वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे. इसमें लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने पर संवाद किया जाएगा.
85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन से पहले 19 जनवरी 2025 को भारत के विधायी निकायों के सचिवों का 61वां सम्मेलन होगा. 21 जनवरी को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समापन सत्र को संबोधित करेंगे.
इस तरह का बड़ा सम्मेलन बिहार में 1982 के बाद पहली बार हो रहा है. उस समय तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष राधानंदन झा के कार्यकाल में यह सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस बार के सम्मेलन में सभी राज्यों के विधान सभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष जहाँ परिषद है. उन राज्यों के सभापति, उप सभापति, केन्द्रशासित प्रदेश के जिन्हें राज्य का दर्जा है वहाँ के अध्यक्ष, उपाध्यक्षों का सम्मेलन हो रहा है.
आरम्भिक सत्र एवं विमर्श सत्र
आरम्भिक सत्र के बाद विमर्श सत्र में सिर्फ पीठासीन अधिकारी ही रहते हैं. यह असार्वजनिक होता है. इस बार इस सम्मेलन का आरम्भिक सत्र 20 जनवरी के पूर्वा० में होगा. यह विस्तारित भवन के सेन्ट्रल हॉल में होगा. चुकी इस वर्ष संविधान की 75वीं वर्षगांठ है. इसलिए इस सम्मेलन हेतु लोक सभा द्वारा निर्धारित विषय "संविधान की 75वीं वर्षगांठ संवैधानिक मूल्यों को सशक्त बनाये रखने में संसद एवं राज्य विधान मंडलों का योगदान" रखा गया है.
क्यों होता है यह सम्मेलन
इसे संसदीय प्रणाली में "अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन" कहा जाता है। कहा की संविधान में संसद या राज्य विधान मंडल को अपने-अपने सदन के संचालन की प्रक्रिया बनाने का अधिकार प्राप्त है. इसके तहत सभी विधायी निकायों ने अपना-अपना कार्य संचालन नियमावली बनाया है. संसदीय प्रणाली में यह परम्परा रही है कि सभी निकाय एक दूसरे के सम्पर्क में रहें, एक दूसरे की प्रक्रियाओं का अध्ययन करें और एक दूसरे की प्रक्रियाओं को जो सहज रूप में स्वीकार्य हों, उसे अपनाएं. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह सम्मेलन अखिल भारतीय स्तर पर प्रत्येक वर्ष किसी-न-किसी राज्य में होता रहा है.
1964 में बिहार में पहला सम्मेलन
सबसे पहले दिनांक 6 एवं 7 जनवरी, 1964 को पीठासीन अधिकारियों का पहला सम्मेलन बिहार विधान सभा में हुआ था. उस समय स्व० लक्ष्मी नारायण सुधांशु, विधान सभा के अध्यक्ष थे. उसके बाद 1982 में और अब 2025 में यह हो रहा है. लोक सभा अध्यक्ष इस सम्मेलन के पदेन सभापति होते हैं. इस सम्मेलन में राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश भी रहेंगे. इस सम्मेलन के दो सत्र होंगे.