Bihar By-Poll Election 2024: तरारी विधानसभा सीट पर कड़ी टक्कर, उपचुनाव के लिए आज से नामांकन शुरु, जानिए किसका पलड़ा भारी
बिहार विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरु हो गई है। तरारी विधानसभा सीट को हॉट सीट माना जा रहा है। यहां एनडीए-महागठबंधन के साथ पीके की पार्टी जन सुराज भी ताल ठोक रही है। मुकाबला कांटे की मानी जा रही है।
Bihar By-Poll Election 2024: बिहार विधानसभा उपचुनाव के लिए आज से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। नामांकन की आखिरी तारीख 25 अक्टूबर है। बिहार के चार विधानसभा सीट तरारी, इमामगंज, बेलागंज और रामगंढ में उपचुनाव होना है। यह सभी चार विधानसभा सीटें 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद खाली हो गई। तरारी से सुदामा प्रसाद, रामगढ़ से सुधाकर सिंह, इमामगंज से जीतन राम मांझी और बेलागंज से सुरेंद्र प्रसाद यादव विधायक थे। ये सभी विधायक लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। उनके इस्तीफे से खाली हुई सीटों पर अब उपचुनाव होंगे।
नामांकन प्रक्रिया शुरु
तरारी विधानसभा सीट पर आज से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है। ऐसे में इस सीट पर अब तक किसका कब्जा रहा है। उपचुनाव में किस पार्टी से कौन से उम्मीदवार खड़े होंगे और विधानसभा सीट पर वोटर्स की संख्या सहित कई अहम जानकारी साझा करेंगे। फिलहाल तरारी लोकसभा सीट पर भाकपा माले का कब्जा था। तरारी विधानसभा सीट को वाल दल का अभेद किला माना जाता है। ऐसे में उपचुनाव में कौन सी पार्टी इस किला को अभेद करती है ये देखना रोमांचक होगा। इस सीट पर एक बार फिर भाकपा माले की जीत होती है या ये सीट महागठबंधन से एनडीए के पाले में चली जाती है या फिर नई पार्टी बनी जन सुराज एनडीए और इंडिया को पछाड़ देती है ये तो 23 नबंवर को ही पता चलेगा।
13 नबंवर को होगा मतदान
दरअसल, चुनाव आयोग द्वारा जारी चुनाव की तिथि को देखे तो 13 नबंवर को चारों विधानसभा सीट पर मतदान होगा। वहीं 13 नबंवर को मतगणना होगा। वहीं तरारी लोकसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन ने औपचारिक रुप से किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। वहीं प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने इस सीट से एसके सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं निर्दलीय उम्मीदवार राजेंद्र पाठक भी ताल ठोक सकते हैं। तो वहीं बहुजन समाजवादी पार्टी की ओर से कुशवाहा जाति के नेता को मैदान में उतारने की तैयारी हैं। हालांकि फिलहाल किसी पार्टी के उम्मीदवार के नामांकन करने की कोई खबर सामने नहीं आई है। सभी पार्टियों में से कौन से उम्मीदवार नामांकन करते हैं और कौन नामांकन वापस लेता है कुछ दिनों में साफ हो जाएगा।
किसका पलड़ा भारी
वहीं उम्मीदवारों की बात करें तो तरारी विधानसभा सीट से प्रशांत किशोर ने एसके सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वहीं भाजपा की ओर से सुनील पांडे के बेटे विशाल प्रशांत उम्मीदवार हो सकते हैं। राजनीति जानकारों की मानें तो इस सीट पर सुनील पांडे की पकड़ अच्छी है। सुनील पांडे इस क्षेत्र में जमीन तौर पर काम करते आए हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि सुनील पांडे की ओर जनता का झुकाव अधिक हो सकता है। हाल ही में सुनील पांडे के नेतृत्व में तरारी विधानसभा क्षेत्र में सम्मेलन भी आयोजित किया गया, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल शामिल हुए। वहीं महागठबंधन की ओर से तरारी सीट पर सीपीआई एमएल के राजू यादव उम्मीदवार हो सकते हैं। सीपीआई एमएल के तत्कालीन विधायक सुदामा प्रसाद के सांसद चुने जाने के बाद ही ये सीट खाली हुआ है। वहीं एनडीए महागठबंधन में कड़ी टक्कर दिखने को मिल सकता है। इसके साथ ही पीके की पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार भी दोनों गठबधंन को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। ऐसे में उपचुनाव में तरारी विधानसभा सीट हॉट सीट बन गई है।
वोटों की समीकरण बिगाड़ सकती है खेल
तरारी विधानसभा सीट पर वोटरों की बात करें तो तरारी विधानसभा सीट पर 2 लाख 60000 वोटर हैं। जिसमें 1 लाख 40000 पुरुष और 1 लाख 20000 महिला वोटर हैं। वहीं जातिगत समीकरण की बात करें तो तरारी विधानसभा सीट पर भूमिहार जाति की सबसे अधिक आबादी है। तकरीबन 65000 भूमिहार वोटर हैं। दूसरे स्थान पर ब्राह्मण वोटर हैं जिनकी संख्या 30000 के आसपास है। राजपूत वोटरों की संख्या 20000 के करीब है। पिछड़ी और अति पिछड़े जाति की आबादी 45 से 50000 के बीच है। इसके अलावा यादव वोटर 30000, बनिया 25000, कुशवाहा 15000 और मुस्लिम वोटर 20000 के आसपास हैं।
एनडीए-महागठबंधन को कड़ी टक्कर देंगे पीके
वोट बैंक के लिहाज से अगर बात करें तो एनडीए और महागठबंधन के बीच लड़ाई बहुत कांटे की होने वाली है। आज से इस सीट पर नामांकन प्रक्रिया शुरु हो रही है। नामांकन की आखिरी तारीख 25 अक्टूबर है। 13 नबंवर को मतदान होना है। वहीं पीके इस बार विधानसभा उपचुनाव में अपना उम्मीदवार उतार कर एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन के लिए मुश्किल खड़ा कर दिए हैं। गौरतलब हो कि इसी साल रुपौली विधानसभा उपचुनाव में चौंकाने वाले रिजल्ट सामने आए था। जनता ने जदयू और राजद को ठुकराते हुए निर्दलीय उम्मीदवार को चुना था। तब राजनीतिक जानकारों का मानना था कि बिहार की जनता अब एनडीए और महागठबंधन से तंग आ गई है और नए विकल्प की तलाश में है। ऐसे में बिहार में होने वाले चार विधानसभा सीटों पर भी किसका कब्जा होगा ये कह पाना मुश्किल है।