Bihar School - कभी जिले का था गौरव, आज बदहाली की स्थिति में पहुंच चुका है आजादी से पहले शुरू हुआ स्कूल, खंडहर हो चुकी कमरों में पढ़ते हैं बच्चे

Bihar School - आजादी के पहले शुरू हुआ स्कूल आज जर्जर हालत में पहुंच गया है. स्कूल के खंडहर हो चुके भवन में बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर है, जिससे हादसे का खतरा बना रहता है।

आजादी से पहले शुरू स्कूल हुआ बदहाल।- फोटो : रिषभ कुमार

Vaishali - वैशाली जिला के लालगंज प्रखंड का गौरव रहा बिहारी शुक्ल संस्कृत मध्य विद्यालय  जो अपनी बदहाली पर रो रहा है। ‌देश के  आजादी से पहले वर्ष 1941 में स्कूल की स्थापना हुई थी। लेकिन आज खंडहर में स्कूल तब्दील हो चुका है। 

यह विद्यालय न सिर्फ क्षेत्र का एकमात्र संस्कृत शिक्षण संस्थान था। बल्कि संस्कृत शिक्षा को समर्पित एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी जाना जाता था। लेकिन वर्तमान स्थिति चिंताजनक स्थिति में है। भवन इस कदर जर्जर हो चुका है कि छात्रों, की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। 

कमरों की टूटी छत से दिखता  है आसमान


गर्मी में बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ाया जाता है, जबकि बारिश या आंधी आने पर स्कूल बंद करना पड़ता है। छतें इतनी कमजोर हैं कि उनके आर-पार आसमान दिखाई देता है। इस विद्यालय की दूरी लालगंज प्रखंड कार्यालय से महज 30 मीटर है, फिर भी प्रशासन की नजर इस ओर नहीं पड़ रही। 

कभी भी हो सकता है हादसा

सरकार द्वारा बच्चों को मुफ्त पुस्तकें, पोशाक और मध्याह्न भोजन जैसी योजनाएं तो उपलब्ध कराई जा रही हैं। लेकिन जिस भवन में पढ़ाई होती है, कभी भी हादसे का कारण बन सकता है। विद्यालय में करीब 80 बच्चों का नामांकन है। लेकिन जर्जर भवन और सुरक्षा की चिंता के चलते उपस्थिति लगातार कम होती जा रही है। 

अब शिक्षकों की भी भारी कमी


एक शिक्षक, एक प्रिंसिपल, संस्कृत के शिक्षक का वर्षों से अभाव विद्यालय में प्रथम से आठवीं कक्षा तक पढ़ाई होती है। लेकिन शिक्षकों की भारीकमी है। पूरे विद्यालय में केवल एक शिक्षक और एक प्रिंसिपल कार्यरत हैं। 

सबसे गंभीर बात यह है कि संस्कृत विद्यालय होने के बावजूद संस्कृत विषय का कोई शिक्षक वर्षों से नहीं है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को कई बार शिकायत दी गई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

क्या कहते हैं शिक्षक विजेंद्र नाथ वर्मा 

बारिश होता है तो छुट्टी करना पड़ता है। दूसरा कोई विकल्प नहीं है। मौसम साफ़ होता है तो बाहर पढ़ा लेते है।

रिपोर्ट - रिषभ कुमार