Medicine Sample Failed: हाई बीपी डायबिटीज और विटामीन डी3 की दवा समेत फेल पाए गए 135 मेडिसीन के सैंपल, सावधान कहीं आप भी टेस्ट में फेल दवाओं का उपयोग तो नहीं कर रहे?

Medicine Sample Failed: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने देशभर में कुल 135 दवाइयों के सैंपल को फेल कर दिया है। जिन दवाइयों के सैंपल फेल हुए हैं, उनमें हृदय, मधुमेह, गुर्दे, रक्तचाप और एंटीबायोटिक जैसी कई दवाइयाँ शामिल हैं।

 135 medicines found failed
फेल पाए गए 135 मेडिसीन के सैंपल- फोटो : Reporter

Medicine Sample Failed: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन  ने हाल ही में दवाओं के सैंपल टेस्ट किए हैं, जिसमें 135 दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। इन दवाओं में मुख्य रूप से उच्च रक्तचाप , मधुमेह , हृदय और किडनी से संबंधित समस्याओं के इलाज में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख दवाएं शामिल हैं।बैन की गई दवाओं में  क्लोनाजेपाम टैबलेट्स जो अटैक और एंग्जाइटी के उपचार में उपयोग होती हैं, साथ ही पेन किलर डिक्लोफेनेक, सांस संबंधी बीमारियों के लिए एंब्रॉक्सोल, एंटी फंगल फ्लुकोनाजोल और कुछ मल्टी विटामिन और कैल्शियम की गोलियां भी शामिल हैं। ये दवाएं हेटेरो ड्रग्स, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड , कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड जैसी प्रमुख कंपनियों द्वारा निर्मित की जाती हैं।

आईजीआईएमएस के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ रोहित उपाध्याय के अनुसार यदि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन  ने किसी दवा को अस्वीकृत कर दिया है, तो वह दवा उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है, क्योंकि उसके निर्माण में प्रयुक्त फॉर्मूले के मानक निम्न होते हैं। ऐसी दवाओं के सेवन से शरीर को कई प्रकार के नुकसान हो सकते हैं। लोगों को ऐसी दवाओं से दूर रहने की सलाह दी गई है। कई बार, खराब गुणवत्ता वाले एंटीबायोटिक्स के उपयोग से सामान्य बैक्टीरिया सुपरबग में परिवर्तित हो सकते हैं, जो उपचार में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।

फेल हुई दवाओं की सूची

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन  की रिपोर्ट के अनुसार सेफपोडोक्साइम टैबलेट आईपी 200 एमजी ,डाइवैलप्रोएक्स एक्सटेंडेड-रिलीज टैबलेट ,मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड टैबलेट 500 एमजी ,एमोक्सीसिलिन टैबलेट , जिंक सल्फेट टैबलेट, पेरासिटामोल 500 एमजी के सैंपल टेस्ट में फेल हुए हैं।

इसके अलावा, कुछ अन्य कंपनियों की दवाएं भी इस सूची में शामिल हैं। सिपला की ओकामैट, एडमैड फार्मा की पेंटाप्राजोल, शमश्री लाइफ साइंसेस का मैरोपेनम इंजेक्शन - 500,ओरिसन फार्मा की टेल्मीसार्टन,मार्टिन एंड ब्राउन कंपनी की एल्बेंडाजोल शामिल हैं ।इन दवाओं को मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना गया है और इन्हें बाजार से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

खराब गुणवत्ता का प्रभाव

जब कोई दवा गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरती, तो इसका अर्थ है किदवा में वह तत्व मौजूद नहीं होते जो रोग का इलाज कर सकें।दवा के घटक शरीर में विषैले प्रभाव डाल सकते हैं।साथ हीं ऐसी दवाओं का सेवन मरीजों की बीमारी को और बढ़ा सकता है।

सरकार ने खराब गुणवत्ता वाली इन दवाओं के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, जिसमें लाइसेंस रद्द करने और बाजार से वापस मंगाने जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं। बता दें इससे पहले सरकार ने 300 से अधिक खराब गुणवत्ता वाली दवाओं पर प्रतिबंध लगाया था, जिनमें 206 फिक्स डोज कंबिनेशन  दवाएं थीं।  फिक्स डोज कंबिनेशन दवाएं एक ही टैबलेट में कई दवाओं को मिलाकर बनाई जाती हैं। हालांकि, इनका त्वरित असर मरीजों के लिए घातक साबित हो सकता है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन देश में दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और कॉस्मेटिक्स के नियमन और मानकों के लिए जिम्मेदार प्रमुख संस्था है। यह केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। यह दवाओं और कॉस्मेटिक्स की गुणवत्ता मानकों को निर्धारित करता है।

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