Bihar Crime: बिहार में प्यार की नई परिभाषा, आरा में 'मोहब्बत' बन गई है 'मोर्चा' और 'मनोरंजन' बन गया है 'मर्डर'!
Bihar Crime: आजकल प्यार का जो 'दिखावा' चल रहा है, उसे देखकर लगता है कि 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' की जगह अब 'दिलवाले जान ले जाएंगे' जैसे शीर्षक ज्यादा फिट बैठेंगे. ..
Bihar Crime:कभी प्यार के नाम पर लैला-मजनू और हीर-रांझा की कहानियाँ सुनाई जाती थीं, जहाँ लोग एक-दूसरे के लिए चांद-तारे तोड़ लाने की कसमें खाते थे. लेकिन, लगता है आजकल के 'प्रेमी' इतिहास से कुछ ज्यादा ही प्रेरित हो गए हैं, और अब चांद-तारे तोड़ने की बजाय सीधे हड्डियां तोड़ने पर आमादा हैं! भोजपुर जिले में प्रेम-प्रसंगों का जो नया 'ट्विस्ट' सामने आया है, उसे देखकर लगता है कि प्यार अब 'युद्ध' का पर्यायवाची बन गया है – पहले 'मोहब्बत', फिर 'विरोध', और अंत में सीधा 'मर्डर'. ऐसा लगता है कि प्यार के नाम पर खौफनाक साजिशें रची जा रही हैं, और प्रेमी-प्रेमिकाएं तो क्या, तीसरे 'अतिथियों' को भी 'यकीन' हो गया है कि खून-खराबा ही अंतिम उपाय है.
लव-स्टोरी या हॉरर-स्टोरी?
आजकल प्यार का जो 'दिखावा' चल रहा है, उसे देखकर लगता है कि 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' की जगह अब 'दिलवाले जान ले जाएंगे' जैसे शीर्षक ज्यादा फिट बैठेंगे. मानसिक विकारों का आलम ये है कि रिश्ता तोड़ने से बेहतर उन्हें लगता है कि सीधे 'खेल खत्म, पैसा हजम' कर दिया जाए. पुलिस भी इन 'प्रेम-कहानियों' को सुलझाने में जुटी है, और उनके अनुसंधान में भी यही बात सामने आई है कि एकतरफा प्यार में लोग न सिर्फ अपने प्रेमी या प्रेमिका की 'इहलीला' समाप्त कर रहे हैं, बल्कि खुद को भी 'शहीद' करने से जरा भी नहीं हिचकिचा रहे हैं. ऐसा लगता है कि प्यार जैसा पवित्र शब्द अब 'कलंकित' हो चुका है, और इसकी जगह अब 'खूनी खेल' ने ले ली है.
भोजपुर की 'खूनी प्रेम कहानियां
गोलू यादव का 'गोलमाल' मामला (18 अप्रैल):
भलुहीपुर मोहल्ले में गोलू यादव को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने इस 'प्रेम-त्रिकोण' का खुलासा करते हुए मुख्य आरोपी समेत तीन को दबोचा. पता चला कि मामला लड़की से बात करने को लेकर हुए 'छोटी-मोटी' नोकझोंक का था, जो सीधे 'बड़ी-बड़ी' गोलियों तक जा पहुंचा. आरोपी विवेक कुमार यादव, राकेश यादव, ललन बिंद और बच्चू यादव उर्फ बुचूल यादव अब पुलिस की 'प्रेम-जेल' में हैं.
आरा रेलवे स्टेशन पर 'ट्रिपल मर्डर' (25 मार्च):
इस घटना ने तो 'प्यार के दुश्मन' वाली कहावत को भी पीछे छोड़ दिया. एक सिरफिरे आशिक ने आरा रेलवे स्टेशन पर अपनी प्रेमिका आयुषी उर्फ जिया और उसके पिता अनिल कुमार को गोली मारकर हत्या कर दी, और फिर खुद को भी गोली मारकर 'प्यार का शहीद' घोषित कर लिया. लगता है उसे लगा कि 'जब प्यार किया तो डरना क्या' लेकिन 'जब प्यार नहीं मिला तो मारना क्या' वाला सिद्धांत अपनाना बेहतर होगा.
विकास शर्मा का 'मिस्ट्री मर्डर' (28 अप्रैल):
उदवंतनगर थाना क्षेत्र में विकास शर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस ने इस 'षड्यंत्र' का पर्दाफाश करते हुए चंदन यादव और जितेंद्र यादव को गिरफ्तार किया. खुलासा हुआ कि एक ही लड़की से दोनों बात करते थे, और रात में फोन पर बुलवाकर विकास को 'पर्मानेंट साइलेंस' कर दिया गया. लगता है 'एक अनार, सौ बीमार' की जगह अब 'एक लड़की, दो दावेदार, और एक का बेड़ा गर्क' वाला सिद्धांत चल रहा है.
सत्यम कुमार की 'अनफॉरगेटेबल' पिटाई (27 अप्रैल):
आरा रेलवे स्टेशन पर पाटलीपुत्र-चंडीगढ़ सुपरफास्ट एक्सप्रेस में चढ़ने के दौरान छात्र सत्यम कुमार को पीट-पीटकर मार डाला गया. पुलिस के खुलासे में सामने आया कि यह 'प्रतिशोध' था क्योंकि सत्यम अपनी बहन के प्रेम-प्रसंग का विरोध करता था. लगता है 'विरोध' अब 'अंतिम संस्कार' का सीधा रास्ता बन गया है. कुमार रिशु उर्फ शशांक, नीतीश कुमार और आदित्य राज अब कानून के 'प्यार' में गिरफ्त में हैं.
बहरहाल ऐसा लगता है कि भोजपुर में प्यार अब एक 'घातक हथियार' बन गया है, और 'लव-स्टोरी' की जगह 'खून-स्टोरी' ने ले ली है. आखिर कब तक प्यार के नाम पर ये 'खूनी खेल' चलता रहेगा? या फिर ये नई 'लव-स्टोरी' है, जिसमें 'हमेशा के लिए खुश रहने' की जगह 'हमेशा के लिए खत्म' कर दिया जाता है?सबसे बड़ा सवाल है।