Bihar Grime: दून एक्सप्रेस के डिब्बे में चल रहा था कछुआ के तस्करी का बड़ा खेल, आरपीएफ ने 102 जिंदा कछुओं की खेप दबोची, 51 लाख का माल किया जब्त
Bihar Grime: रेलवे की पटरियों पर एक बार फिर वन्यजीव तस्करों की साज़िश बेनकाब हो गई...
Bihar Grime: रेलवे की पटरियों पर एक बार फिर वन्यजीव तस्करों की साज़िश बेनकाब हो गई। गयाजी में दून एक्सप्रेस के एसी कोच में सफर कर रहा खामोश कारवां आरपीएफ की पैनी नज़र से बच नहीं सका। ऑपरेशन विलेप के तहत रेलवे सुरक्षा बल ने गुरुवार की रात करीब 10:30 बजे गया जंक्शन पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 102 जिंदा कछुओं की खेप बरामद की, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कीमत करीब 51 लाख रुपये आंकी जा रही है। यह कार्रवाई न सिर्फ तस्करों के लिए करारा तमाचा है, बल्कि यह भी साबित करती है कि रेल अब तस्करी का सेफ कॉरिडोर नहीं रहा।
वरीय अधिकारियों के दिशा-निर्देशन में आरपीएफ पोस्ट गया के निरीक्षक प्रभारी बनारसी यादव और अपराध आसूचना शाखा के निरीक्षक चंदन कुमार के नेतृत्व में प्लेटफार्म संख्या तीन पर खड़ी ट्रेन संख्या 13010 दून एक्सप्रेस की सघन जांच की जा रही थी। जैसे ही कोच एस-3 में रखे पांच पिठू बैग और एक झोला संदिग्ध हालत में दिखे, टीम का शक यकीन में बदल गया। बैग खुलते ही अंदर से जिंदा कछुओं की फड़फड़ाहट ने तस्करी की पूरी कहानी बयां कर दी। कुल 102 कछुए बेहद अमानवीय तरीके से ठूंस-ठूंस कर भरे गए थे। आसपास बैठे यात्रियों से पूछताछ हुई, लेकिन हर कोई अनजान बनता रहा। किसी ने भी बैगों पर मालिकाना हक नहीं जताया।
इसके बाद आरपीएफ ने सभी बैग जब्त कर कछुओं को सुरक्षित आरपीएफ पोस्ट गया पहुंचाया। निरीक्षक प्रभारी बनारसी यादव ने बताया कि कछुआ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित प्रजाति है और यह मामला अंतरराज्यीय वन्यजीव तस्करी से जुड़ा प्रतीत हो रहा है। तुरंत गया वन विभाग को सूचना दी गई, जिसके बाद रेंज अधिकारी आरती कुमारी मौके पर पहुंचीं और सभी कछुओं को संरक्षण व आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए वन विभाग को सौंप दिया गया।
इस ऑपरेशन में आरपीएफ के कई अधिकारियों और सीपीडीएस टीम की अहम भूमिका रही। अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई तस्करों के नेटवर्क पर सीधा वार है। बता दें कि इससे पहले भी नेताजी एक्सप्रेस से 76 जिंदा कछुए पकड़े जा चुके हैं। सवाल यह है कि रेल के रास्ते वन्यजीवों की यह तस्करी कौन चला रहा है? फिलहाल आरपीएफ और वन विभाग की नजर अब उन चेहरों पर है, जो परदे के पीछे बैठकर इस कछुआ काले कारोबार को चला रहे हैं।
रिपोर्ट- मनोज कुमार