चंदन मिश्रा की मौत जरायम की दुनिया का अंत,गुनाह की गलियों से उठी गोलियों की गूंज, गैंगस्टर चंदन मिश्रा का खूनखराबा पटना में पड़ा आख़िरी पड़ाव
Chandan Mishra Murder: पटना के पारस हॉस्पीटल में अपराधियों के हाथों मारे गए गैंगस्टर चंदन मिश्रा का बक्सर में एक दौर में आतंक रहा था। जरायम की दुनिया में उसकी तूती बोलती थी।
Chandan Mishra Murder:गुनाह की दुनिया का ये वो किरदार था, जिसकी दहशत से बक्सर की फिज़ाएं थर्राती थीं और भोजपुर की गलियों में सन्नाटा छा जाता था। नाम-चंदन मिश्रा, पेशा—अपराध, और शौक—खून-खराबा। महज़ किशोरावस्था में ही उसने हथियार थाम लिया था और पहली बार अपने गांव के ही एक युवक को गोली से उड़ा दिया था। बाल सुधार गृह से लौटने के बाद उसका रास्ता सीधा जुर्म की गलियों की ओर मुड़ गया।
साल 2011 में चंदन मिश्रा और ओंकार सिंह उर्फ शेरू सिंह की जोड़ी ने अपराध की ऐसी इबारत लिखी, जिसे पढ़कर बक्सर-आरा की अवाम आज भी सिहर उठती है। रंगदारी, हत्या और दहशत—ये उनके रोज़मर्रा के फितरत में शामिल था। भोजपुर चूना भंडार के मालिक राजेंद्र केसरी की हत्या ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी। केसरी से जब फिरौती मांगी गई और उन्होंने मना कर दिया, तो दिनदहाड़े गोली मारकर उनका क़त्ल कर दिया गया। इस वारदात ने चंदन को सीधा 'हिट लिस्ट' में पहुंचा दिया।
चंदन पर 25 से ज़्यादा मुकदमे दर्ज थे 14 अकेले बक्सर टाउन थाना में। डुमरांव, औद्योगिक, मुफस्सिल और नवादा थाने की फाइलों में उसका नाम किसी काले साए की तरह दर्ज है। लेकिन तक़दीर ने उसकी जुर्म की दौड़ पर रोक तब लगाई जब वो आजीवन कारावास की सज़ा भुगतने बेऊर जेल पहुंचा। 14 साल जेल में रहने के बाद, पैरोल पर छूटकर इलाज कराने निकला, पर मौत उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी।
पटना के पारस हॉस्पिटल में इलाज के दौरान, उसी अपराध की दुनिया ने उसे खुद अपने अंदाज में विदाई दी—गोलियों की बौछार के साथ। ऑपरेशन करवाने निकला था, उम्मीद थी कि ज़िंदगी कुछ और मोहलत देगी, पर क़िस्मत ने आख़िरी पन्ना लिख डाला।
गैंगवार, धोखा और गद्दारी की इस दुनिया में उसका अंत भी वैसा ही हुआ जैसा एक कुख्यात अपराधी का होता है। जो कभी पुलिस के लिए सिरदर्द था, वो अब एक केस फाइल का हिस्सा बन गया। चंदन मिश्रा की मौत, उस दुनिया का काला आईना है जिसमें दोस्ती भी गोली से तोली जाती है और जिंदगी की कीमत कुछ सिक्कों से ज्यादा नहीं होती।