Bihar Police: पटना में ‘मोबाइल माफिया’ बेलगाम! हर महीने 500 से ज्यादा गैजेट गायब, लेकिन पुलिस सिर्फ ‘कागज़ी खानापूरी’ में मस्त, IT एक्ट 66B की खुलेआम उड़ रही धज्जियां!

Bihar Police:पटना में मोबाइल और लैपटॉप की चोरी अब कोई मामूली वारदात नहीं, बल्कि संगठित रैकेट का हिस्सा बन चुकी है।

पुलिस सिर्फ ‘कागज़ी खानापूरी’ में मस्त- फोटो : social Media

Bihar Police:पटना में मोबाइल और लैपटॉप की चोरी अब कोई मामूली वारदात नहीं, बल्कि संगठित रैकेट का हिस्सा बन चुकी है। हर महीने राजधानी से लेकर देहात तक 500 से ज्यादा मोबाइल, टैब और लैपटॉप या तो जेब से उड़ जाते हैं या हथियारबंद बदमाश झपट्टा मारकर छीन ले जाते हैं। लेकिन हैरानी की बात ये है कि इन मामलों में पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

शहर के थानों में 80 फीसदी केसों में सिर्फ सनहा दर्ज किया जा रहा है  यानी ना FIR, ना सख्त जांच! बाकी 20 फीसदी में बस चोरी की मामूली धारा लगाकर खानापूरी कर दी जाती है। जबकि कानून साफ कहता है कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस चोरी होने पर आईटी एक्ट की धारा 66B लगनी चाहिए, जिसमें आरोपी को तीन साल की सजा या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

कई केस सामने आए पर एक भी मामले में IT एक्ट की धारा 66B नहीं लगाई गई। वजह? अगर ये धारा लगती है तो जांच इंस्पेक्टर रैंक के अफसर को करनी होगी, और लापरवाही की सूरत में उनकी CR (चरित्र पंजिका) पर असर पड़ता है। इसलिए अफसर बचना चाहते हैं, और अपराधी मज़े से घूमते हैं।पुलिस कहती है- मोबाइल वापस मिल जाएगा, कोर्ट-कचहरी का झंझट मत लो, बस ‘सनहा’ लिखवा दो। फॉर्म भरवाती है, और फिर ऑपरेशन मुस्कान के नाम पर मोबाइल खोजकर लौटा देती है। मगर सवाल उठता है- क्या बदमाश को सजा मिली? नहीं! क्योंकि केस ही नहीं दर्ज हुआ।

साइबर एक्सपर्ट मानते हैं कि आईटी एक्ट 66B अनिवार्य है। ये केंद्र सरकार का कानून है और इसका पालन न होना कानून की हत्या है।वहीं डीजीपी विनय कुमार मानते हैं कि डिवाइस में छेड़छाड़ हो तो 66B लगनी चाहिए, पर राज्य सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया है कि इंस्पेक्टर से नीचे के अफसरों को जांच की छूट मिले।ना केस दर्ज, ना डर का माहौल, ना सजा। और इस सिस्टम के बीच पटना बन गया है मोबाइल माफिया का नया अड्डा, जहां कानून सिर्फ किताबों में और न्याय केवल किस्मत वालों के हिस्से में है!