Briber Arrested: जमीन मुआवजे के भुगतान के लिए कलेक्ट्रेट में हो रहा था रिश्वत का सौदा, निगरानी की रेड में घूसखोर क्लर्क रंगे हाथ गिरफ्तार

Briber Arrested: अफसरशाही में घुसा भ्रष्टाचार सिर्फ फाइलों में नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी में ज़हर घोल रहा है। निगरानी विभाग की इस त्वरित कार्रवाई ने जनता को राहत दी है..

रिश्वतखोर बाबू गिरफ्तार- फोटो : social Media

अपराध की दुनिया में एक बार फिर सरकारी दफ्तर का काला चेहरा उजागर हो गया। छपरा जिले के कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित भू-अर्जन कार्यालय में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब निगरानी विभाग की टीम ने अचानक धावा बोलते हुए लिपिक आकाश मुकुंद को 30 हजार रुपये घूस लेते रंगे हाथ धर दबोचा। भीड़ के बीच हुए इस नाटकीय ऑपरेशन ने पूरे कार्यालय को अपराध स्थल में बदल दिया।

मामला सोनपुर गोविन्दचक निवासी हर्षवर्धन कुमार सिंह की जमीन से जुड़ा है, जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) निर्माण के तहत अधिग्रहित किया गया था। इसके एवज में उन्हें 16 लाख रुपये का मुआवजा मिला था। लेकिन इसी वैध भुगतान के पीछे भ्रष्टाचार का भूत मंडरा रहा था। पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) पवन कुमार के मुताबिक, लिपिक आकाश मुकुंद ने हर्षवर्धन से 2 प्रतिशत कमीशन की खुलेआम मांग की थी। सौदा 30 हजार रुपये पर तय हुआ और रिश्वत की रकम देने का दिन सोमवार रखा गया।

जैसे ही याचिकाकर्ता ने तयशुदा रकम लिपिक को सौंपी, पहले से जाल बिछाकर बैठी निगरानी टीम ने फिल्मी अंदाज़ में दबिश दी। मौके पर मौजूद अफसरों ने गिन-गिनकर नोटों का मिलान किया, जिससे भ्रष्टाचार की कहानी सबके सामने बेनकाब हो गई। उपस्थित लोगों के बीच यह खबर आग की तरह फैल गई और दफ्तर में मौजूद हर आंख इस गिरफ्तारी का गवाह बन गई।

याचिकाकर्ता ने बताया कि यह घूस भारत माला प्रोजेक्ट के तहत नई भूमि अधिग्रहण की राशि के बजाय पहले मिले भुगतान में से मांगी जा रही थी। जब बार-बार दबाव डाला गया, तो उसने सीधा निगरानी विभाग से संपर्क किया। योजना और रणनीति के तहत पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया गया और क्लर्क को गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तार आरोपी को कड़ी सुरक्षा के बीच मुजफ्फरपुर निगरानी थाना ले जाया गया, जहां उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है। फिलहाल, यह मामला केवल एक क्लर्क की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस संगठित भ्रष्टाचार पर भी सवाल उठाता है, जो सरकारी महकमों की इमारतों के भीतर फल-फूल रहा है।

छपरा का यह रिश्वत कांड एक बार फिर साबित करता है कि अफसरशाही में घुसा भ्रष्टाचार सिर्फ फाइलों में नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी में ज़हर घोल रहा है। निगरानी विभाग की इस त्वरित कार्रवाई ने जनता को राहत दी है, लेकिन साथ ही यह चेतावनी भी कि अपराध चाहे कितना भी योजनाबद्ध क्यों न हो, कानून की नजर से बचना नामुमकिन है।