Bihar School News: एसीएस डॉ सिद्धार्थ साहब देखिए... विद्यालय से चंद कदमों की दूरी पर शिक्षक का घर,स्कूल बना वीरान, बच्चों ने कहा- “घर पर ही रहते हैं गुरुजी, डीईओ का नाम लेकर धमकाते भी हैं ...

Bihar school News: बच्चों को ज्ञान की रोशनी नहीं, गुरुजी की गैर-हाज़िरी मिल रही है। और यह कोई गुप्त कहानी नहीं, वीडियो वायरल है, गवाही ग्रामीण और बच्चे खुद दे रहे हैं।...

शिक्षा का जनाजा निकाल रहे गुरुजी....- फोटो : reporter

Bihar school News:  बच्चों को ज्ञान की रोशनी नहीं, गुरुजी की गैर-हाज़िरी मिल रही है। और यह कोई गुप्त कहानी नहीं, वीडियो वायरल है, गवाही ग्रामीण और बच्चे खुद दे रहे हैं।दरअसल सीवान के ऊखई पूरब पट्टी गांव में स्थित राजकीय प्राथमिक मकतब इन दिनों शिक्षा नहीं, शिकायतों का केंद्र बन गया है। 

ऊखई पूरब पट्टी गांव में स्थित राजकीय प्राथमिक मकतब में तैनात शिक्षक इंतजार अहमद पर आरोपों की फेहरिस्त लंबी है। मात्र 50 मीटर दूरी पर उनका घर है, लेकिन स्कूल आना जैसे एक मजबूरी बन चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि इंतजार अहमद साहब स्कूल तो आते हैं, पर सिर्फ हाज़िरी रजिस्टर पर दस्तखत करने के लिए। कुछ ही देर बाद वापस घर की राह पकड़ लेते हैं  और जब तक कोई उच्चाधिकारी निरीक्षण के मूड में न हो, तब तक बच्चों की किताबें धूल फांकती रहती हैं।

 प्रधानाध्यापक मो. हसमुद्दीन खुद ये स्वीकार करते दिख रहे हैं कि शिक्षक महोदय का यही रोज का रूटीन है। वो बताते हैं कि इंतजार अहमद खुद को डीएम और जिला शिक्षा पदाधिकारी का करीबी बताकर डराते हैं, जिससे स्कूल प्रशासन भी चुप्पी साध लेता है।

एक और वीडियो में विद्यालय की रसोईया दीदी कहती हैं कि गुरुजी स्कूल आते ही नहीं। और जो सबसे ज्यादा झकझोरने वाला वीडियो सामने आया है, उसमें बच्चे खुद शिक्षक को घर से खींचते हुए स्कूल लाते नजर आ रहे हैं। यह दृश्य न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था की विफलता का प्रतीक है, बल्कि बच्चों की विवशता और निराशा को भी उजागर करता है।

बच्चों ने भी आरोप लगाया है कि गुरुजी स्कूल में मोबाइल पर फिल्में देखते हैं, उन्हें डांटकर चुप करा देते हैं, और कोई पढ़ाई नहीं करवाते। यहां तक कि कुछ बच्चों ने यह भी बताया कि उन्हें घरेलू काम करवाया जाता है — माने शिक्षा की जगह श्रम-श्रम-श्रम!

जब ग्रामीणों ने वीडियो रिकॉर्ड करने की बात कही, तो गुरुजी ने निर्भीकता से कहा  कि “बनाइए वीडियो, जो करना है करिए... हमको कोई फर्क नहीं पड़ता।”यह बयान अपने आप में प्रशासन के प्रति अविश्वास, घमंड और जवाबदेही से भागने की सोच का आईना है।

इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी ने जांच की बात कही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ जांच से ही जिम्मेदारियां तय होंगी? क्या बच्चों के भविष्य के साथ इस लापरवाह खेल का अंत होगा या फिर मामला कागज़ों में ही सिमट जाएगा?

यह सिर्फ ऊखई की कहानी नहीं है, ये उन सैकड़ों गांवों की कहानी है जहां ‘गुरुजी’ सिर्फ नाम के होते हैं। क्या शिक्षा विभाग अनुशासन का डंडा चलाएगा। या डीईओ साहब की तरह केवल जांच का आश्वासन देता रहेगा। क्योंकि जब शिक्षक ही गैर-जिम्मेदार हों, तो बच्चे किससे उम्मीद करें?बहरहाल सवाल है कि क्या शिक्षा की लाश पर बैठा यह ‘गुरुजी’ बर्खास्त होगा या फिर अगला वीडियो किसी और गांव से आएगा?

ताबिश इरशाद की रिपोर्ट