Bihar Election Results 2025: बिहार की सियासत का अग्निपरीक्षा दिवस, 28 मंत्रियों, 14 पूर्व सांसदों और कई सियासी घरानों की किस्मत का फैसला आज
Bihar Election Results 2025: राज्य के 28 मंत्रियों की किस्मत आज मतगणना के साथ खुलने जा रही है। इनमें भाजपा के 16 और जदयू के 12 मंत्री शामिल हैं।
Bihar Election Results 2025: आज का दिन बिहार की राजनीति में सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि साख, समीकरण और भविष्य की परख का दिन है। यह चुनाव महज़ सीटों का गणित नहीं, बल्कि पूरे राज्य की राजनीतिक दिशा तय करने वाला निर्णायक मोड़ साबित होने वाला है। इस बार की जंग में दांव बड़ा है—क्योंकि जनता सिर्फ सरकार नहीं चुन रही, बल्कि यह भी तय कर रही है कि बिहार की सियासत में किसकी पकड़ कितनी मज़बूत रह गई है।
राज्य के 28 मंत्रियों की किस्मत आज मतगणना के साथ खुलने जा रही है। इनमें भाजपा के 16 और जदयू के 12 मंत्री शामिल हैं। सत्ता पक्ष में रहते हुए इन पर जीत का दबाव दोगुना हैक्योंकि यदि कोई मंत्री हारता है, तो सिर्फ कुर्सी ही नहीं, बल्कि राजनीतिक विश्वसनीयता और जनाधार पर भी बड़ा सवाल खड़ा होगा। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा, गन्ना उद्योग मंत्री कृष्णनंदन पासवान सभी ने अपनी सीटों को ‘सुरक्षित क्षेत्र’ बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है।
चुनावी रण में मंत्रियों के अलावा 14 पूर्व सांसदों की किस्मत भी दांव पर है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव, सुनील कुमार पिंटू, वीणा देवी, जयप्रकाश नारायण यादव, सरफ़राज़ आलम इनके लिए यह चुनाव पुनर्स्थापना या अस्तित्व की लड़ाई है। हार इन्हें सियासी हाशिये पर धकेल सकती है, जबकि जीत फिर से केंद्र में ला सकती है। महरुम पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के चश्मोचराग ओसामा के भविष्य का फैसला भी कुछ हीं घंटों में हो जाएगा तो, एमएलसी दिनेश सिंह और सांसद वीणा देवी की पुत्री कोमल के भी राजनीतिक भविष्य का निर्णय आज पता चल जाएगा। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के राजनीतिक भविष्य का फैसला भी महज कुछ गंठों में होने वाला है।
दूसरी ओर, जदयू के वरिष्ठ चेहरे विजय कुमार चौधरी, श्रवण कुमार और लेशी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक साख से सीधे जुड़े हैं। अगर इन दिग्गजों में से किसी को भी झटका लगता है, तो उसका असर जदयू की राजनीतिक हैसियत और सरकार की स्थिरता पर सीधा पड़ेगा। यह चुनाव जदयू के लिए एक तरह से नीतीश कुमार की बची हुई पकड़ की परीक्षा भी है।
इसके साथ ही, बिहार की पारंपरिक राजनीति का एक पुराना रंग परिवारवादइस चुनाव में फिर हावी है। जल संसाधन मंत्री संतोष सुमन भले मैदान में नहीं हैं, लेकिन उनकी पत्नी और सास चुनाव में उतरी हैं। मंत्री संतोष कुमार सिंह के भाई आलोक सिंह भी मुकाबले में हैं। बिहार की सियासत में परिवारों की यह विरासत फिर चर्चा के केंद्र में है जहां चुनाव सिर्फ नेता का नहीं, बल्कि पूरे घराने की प्रतिष्ठा का मामला बन चुका है।
आज की मतगणना यह साफ करेगी कि बिहार की सत्ता किस ओर जाएगी और किसकी सियासी जमीन खिसकेगी या और मज़बूत होगी।