तेजस्वी की जातीय समीकरण के सहारे बड़ी जीत की रणनीति, राजद के ‘ए टू जेड’ फार्मूले से बढ़ी एनडीए की टेंशन

बिहार विधानसभा चुनाव में राजद नेता तेजस्वी यादव ने अपने ए टू जेड यानी सभी जातियों को उचित प्रतिनिधित्व देने के फार्मूले को टिकट बंटवारे में साधा है.

Tejashwi Yadav- फोटो : news4nation

Bihar election : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजद (राष्ट्रीय जनता दल) ने एक बार फिर अपने पारंपरिक सामाजिक समीकरण को मजबूत करने की दिशा में बड़ा दांव खेला है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी ने टिकट बंटवारे में जातीय संतुलन साधने का प्रयास किया है। बिहार की हालिया जातीय गणना रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की आबादी में पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी करीब 63% है, जबकि यादव समाज की जनसंख्या लगभग 14% और मुस्लिम समाज की करीब 17% बताई गई है। यही समीकरण इस बार राजद की रणनीति की धुरी बना है।

यादव-मुस्लिम पर मेहरबान 

राजद ने कुल 143 उम्मीदवारों में से 52 यादव समाज से और 18 मुस्लिम समाज से उम्मीदवार उतारे हैं। यानी लगभग आधे टिकट इन दोनों समुदायों को देकर पार्टी ने अपने पारंपरिक “एम-वाई” (मुस्लिम-यादव) समीकरण को और भी मजबूत किया है। पिछले चुनाव में 18 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट मिला था, जिनमें से 8 ने जीत दर्ज की थी। इस बार पार्टी चाहती है कि यादव-मुस्लिम एकजुटता के साथ बाकी पिछड़े वर्गों को भी अपने पाले में लाया जाए।

कुशवाहा-भूमिहार पर दांव 

इसी रणनीति के तहत राजद ने 13 कुशवाहा उम्मीदवारों को टिकट दिया है। एनडीए में सम्राट चौधरी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे कुशवाहा नेताओं के होने के बावजूद इस वर्ग में सेंधमारी की कोशिश तेजस्वी यादव ने की है। अगड़ी जातियों को भी पार्टी ने नजरअंदाज नहीं किया है। 16 उम्मीदवार सवर्ण समाज से हैं, जिनमें 7 राजपूत, 6 भूमिहार और 3 ब्राह्मण शामिल हैं। कुशवाहा और सवर्ण समाज को बड़ा प्रतिनिधित्व देना सीधे सीधे एनडीए की चुनौती को बढ़ाने का कारक बनेगा। सवर्ण समाज में भूमिहारों को पिछले कुछ चुनावों में राजद में कम संख्या में उम्मीदवार बनाया था लेकिन इस बार पार्टी इस जाति पर मेहरबान है। इसी तरह लोकसभा चुनाव 2024 में कुशवाहा पर खेला गया राजद और इंडिया गठबंधन का दांव सफल रहा था। तेजस्वी ने अब विधानसभा चुनाव में भी उसे लागू किया है। 


36 फीसदी अति पिछड़े वर्ग के समर्थन को ध्यान में रखते हुए राजद ने 21 उम्मीदवार अत्यंत पिछड़ी जातियों से उतारे हैं। वहीं, 21 आरक्षित सीटों में 20 अनुसूचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को मौका दिया गया है। 

जातीय संतुलन से आएगा वोट

जातीय गणना के नतीजों ने इस चुनाव में राजनीति की नई दिशा तय कर दी है। तेजस्वी यादव ने इन्हीं आंकड़ों को आधार बनाकर “ए टू जेड” यानी सभी जातियों को प्रतिनिधित्व देने का संदेश दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह जातीय संतुलन वोट में तब्दील हुआ, तो राजद के लिए यह बिहार की सत्ता तक पहुंचने का सबसे कारगर फार्मूला साबित हो सकता है।