National News : संसद में दो फाड़ हुआ इंडिया गठबंधन, ममता की TMC के बाद अखिलेश यादव भी हुए अलग,कैसे बिखरा विपक्ष..जानिए इनसाइड स्टोरी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले लंबे अरसे से अडानी मुद्दे पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे सीधे घेर रहे हैं. चाहे भारत में चुनावी मंच हो या संसद का पटल या फिर विदेश के दौरे हर जगह राहुल के निशाने पर अडानी रहे हैं.
National News : एनडीए के खिलाफ एकजुट होकर विपक्षी दलों से लड़ने के लिए बना 'इंडिया' गठबंधन बड़े दरार को झेलता नजर आ रहा है. स्थिति है कि संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में 'इंडिया' के कई प्रमुख घटक दल एक दूसरे से दूर नजर आ रहे हैं. यहाँ तक कि सामूहिक रूप से सदन में मोदी सरकार को घेरने के लिए जो रणनीति बनती है उसमें भी सारे दल एकमत नजर नहीं आ रहे हैं. अलग अलग मुद्दों पर 'इंडिया' के दलों में दूरी से विपक्षी एकता खटाई में पड़ती दिखती रही है.
संसद में दो फाड़ हुए 'इंडिया' गठबंधन में पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी TMC ने अलग सुर अलापा और उसके बाद अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी अलग नजर आई. यानी संसद में विपक्ष बिखरा नजर आया. अडानी मुद्दे पर कांग्रेस के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन में पहले तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं हुई और उसके बाद समाजवादी पार्टी ने भी उसमें शामिल होने से परहेज किया. हालाँकि कांग्रेस, आप, राजद, शिवसेना, द्रमुक और वाम दलों के सांसदों ने अपनी एकजुटता दिखाई.
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले लंबे अरसे से अडानी मुद्दे पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे सीधे घेर रहे हैं. चाहे भारत में चुनावी मंच हो या संसद का पटल या फिर विदेश के दौरे हर जगह राहुल के निशाने पर अडानी रहे हैं. इसी को लेकर इस बार भी सदन में कांग्रेस ने अडानी मुद्दे पर हंगामा किया है. इतना ही नहीं 'इंडिया' के दलों के साथ मिलकर विरोध भी जताया . लेकिन उसी इंडिया के घटक दलों तृणमूल और समाजवादी पार्टी का इस मुद्दे पर अलग सुर रहा.
तृणमूल के सांसदों ने अडानी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन से खुद को अलग रखने का तर्क भी बेहद खास दिया है. एक तरह से कांग्रेस की कार्यपद्धति पर सवाल भी उठा दिया. तृणमूल ने तर्क दिया है कि संसद सत्र का उपयोग बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि और केंद्र द्वारा विपक्षी शासित राज्यों के खिलाफ धन आवंटन में कथित भेदभाव के मुद्दों को उठाने के लिए किया जाना चाहिए. यानी सिर्फ अडानी को लेकर संसद में घेरने की प्रवृत्ति को तृणमूल ने नकार दिया.
अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने अडानी मुद्दे से ज्यादा जरूरी मुद्दा उत्तर प्रदर्श के संभल में हुई हिंसा को माना. इसे लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद लगातार सदन में जोरशोर से अपनी बात रखते रहे. इतना ही नहीं मंगलवार को लोकसभा में अखिलेश यादव ने संभल हिंसा का मुद्दा उठाया. हालाँकि उस दौरान स्पीकर ने उन्हें बोलने देने से इनकार किया और इसे शून्यकाल में उठाने को कहा. इसे लेकर समाजवादी सांसद सदन में वॉकआउट भी किए. यानी यहाँ भी समाजवादी पार्टी ने साफ कर दिया कि देशह में अडानी का मुद्दा संभल हिंसा के मुकाबले कमतर है.