आप-कांग्रेस गठबंधन मजबूरी या जरुरी, साथ चुनाव लड़ने से किसको लाभ, किसको कितना होगा नुकसान

दिल्ली - लोकसभा चुनाव 2024 की साझा रणनीति बनाने के लिए विपक्षी महागठबंधन I.N.D.I.A. की  मुंबई में 31 अगस्त और 1 सितंबर 2023 को बैठक होने वाली है. इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इनक्लूसिव अलायंस की तीसरी बैठक की तैयारियां जोरों पर है, जिसमें छब्बीस से ज्यादा राजनीतिक दलों के कमाबेस अस्सी नेताओं के शामिल होने की संभावना है, जबकि कुछ और नए दल भी इसमें सम्मलित हो सकते है.

तो वहीं आप और कांग्रेस विपक्षी महागठबंधन इंडिया में साथ एक हैं.लेकिन सवाल है  कब तक साथ रहेंगे? राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इंडिया गठबंधन में कांग्रेस मडत्व पूर्ण भूमिका में हैं. ऐसे में दिल्ली में आप और कांग्रेस में कांग्रेस की हालत तरबूज जैसी है, छुरी तरबूज पर गिरे या तरबूज छुरी पर गिरे, कटना तरबूज को ही है? याद कीजिए आप की पहली बार दिल्ली सरकार में कांग्रेस के सहयोग से सहयोग ही बनी थी, आप फायदे में रही, कांग्रेस नुकसान में रही! दिल्ली, पंजाब में आप, कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई है, तो राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश आदि में आप सियासी वोटकटवा पोजीशन में है.

यदि आप को कांग्रेस साथ नहीं लेती है, तो कांटे की टक्करवाली सीटों पर कांग्रेस को बड़ा नुकसान होगा और यदि आप को कांग्रेस साथ रखती है, तो ऐसे राज्यों में आप की प्रभावी एंट्री हो जाएगी.यही वजह है कि दिल्ली में क्या किया जाए, यह कांग्रेस नेतृत्व को ठीक से समझ नहीं आ रहा है?दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच लोकसभा की सात सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर सियासी घमासान जारी है.

कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व चाहता है कि आप को साथ रखा जाए, जबकि दिल्ली कांग्रेस के नेता आप को साथ रखना नहीं चाहते हैं?याद रहे, कांग्रेस ने इन सीटों पर कांग्रेस नेता अलका लांबा के अकेले चुनावी तैयारी के बयान को भले ही खारिज कर दिया है, लेकिन दूसरे नेता अभी भी उनके साथ हैं!कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि- अगर अलका लांबा कहती हैं कि कांग्रेस सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करेगी, तो क्या गलत कहा? बता दें अलका लांबा के बयान के बाद आप ने कहा था कि जब अकेले चुनाव लड़ना है, तो इंडिया का क्या मतलब है?

संदीप दीक्षित ने कहा कि हमने खुद को सशक्त करने का प्लान बनाया है, तो हम 7 लोकसभा सीटों और 70 विधानसभा सीटों पर मजबूत होंगे, जब मजबूत होंगे तभी गठबंधन के साथ किसी पार्टी की मदद करेंगे.वहीं सियासत के जानकारों का मानना है कि भाजपा से लोहा लेने के लिए कांग्रेस को आप को साथ रखना जरुरी है.

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