बिहार फर्जी आईपीएस मामले में ट्विस्ट: पुलिस का दावा, लड़के ने खुद खरीदी वर्दी , घोटाले की कहानी झूठ!
Bihar boy fake IPS officer: बिहार का 18 वर्षीय लड़का जो वर्दी में एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में पिस्टल लेकर पहुंचा था। उस समय सुर्खियों में आया जब उसने दावा किया कि उसने एक व्यक्ति को IPS अधिकारी के रूप में नियुक्त करने के लिए ₹2 लाख का भुगतान किया था। लड़के का नाम मिथिलेश कुमार मांझी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। कई लोगों ने उस युवक के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और घोटाले में फंसने के लिए उस पर दया की। लेकिन पुलिस ने अब दावा किया है कि मांझी उतना निर्दोष नहीं हो सकता जितना वह दिखता है। जांच के बाद, बिहार पुलिस ने कहा कि उन्हें मांझी द्वारा पुलिस अधिकारी के रूप में नियुक्त होने के लिए किसी को ₹2 लाख का भुगतान करने का कोई सबूत नहीं मिला।
कौन हैं मिथिलेश मांझी?
बिहार के जमुई में 20 सितंबर को एक युवक आईपीएस अधिकारी की ड्रेस में बंदूक लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचा, जो बाद में नकली पाया गया। उन्हें जल्द ही हिरासत में ले लिया गया और खुलासा हुआ कि कथित तौर पर मनोज सिंह नाम के एक व्यक्ति ने उन्हें आईपीएस अधिकारी बनने में मदद करने के लिए ₹2 लाख का भुगतान करने के लिए धोखा दिया था। उन्होंने कहा कि वह कुछ महीने पहले सिंह से मिले थे और उन्हें आईपीएस अधिकारी बनने के लिए भुगतान करने के लिए अपने चाचा से पैसे उधार लिए थे। मांझी ने कहा कि सिंह ने उन्हें पहनने और पुलिस स्टेशन जाने के लिए वर्दी दी।
पुलिस को शक लड़के की कहानी मनगढ़ंत
जांच के दौरान उन्होंने पुलिस को सिंह का मोबाइल नंबर भी दिया था। पुलिस ने मांझी को हिरासत से रिहा कर दिया और सिंह से पूछताछ शुरू कर दी। पुलिस का कहना है कि फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। मामले पर बिहार पुलिस ने कहा कि मांझी ने उन्हें जो कहानी बताई वह पूरी तरह से मनगढ़ंत है। जब पुलिस ने उसके मामा से पूछा, जिनके बारे में उनका दावा था कि उन्होंने सिंह को भुगतान करने के लिए पैसे उधार दिए थे तो उन्होंने उसे कोई पैसा देने से इनकार कर दिया।
मिथलेश मांझी के चाचा ने पुलिस को बताई सच्चाई
मिथलेश मांझी के चाचा ने पुलिस को बताया कि उन्होंने एक बार अपनी मां के इलाज के लिए ₹60,000, घर बनाने के लिए ₹45,000 और परिवार में एक शादी के समय ₹50,000 दिए थे। लेकिन उन्होंने उसे नौकरी पाने के लिए कभी पैसे नहीं दिए। इसके बाद पुलिस ने उस इलाके में रहने वाले मनोज सिंह नाम के सभी लोगों से संपर्क किया, जिनके बारे में मांझी ने उन्हें बताया था। लेकिन वह उनमें से किसी की भी पहचान नहीं कर सका। पुलिस ने बताया कि मांझी द्वारा दिया गया मनोज सिंह का मोबाइल नंबर भी बंद है और वह किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर पाया गया है।
पुलिस को लड़के पर संदेह
पुलिस ने यह भी कहा कि 20 सितंबर को उसके जगह का पता लगाने के बाद उन्होंने पाया कि वह खैरा इलाके में नहीं था, जहां उसने दावा किया था कि उसे कथित ठग ने वर्दी दी थी। वह लखीसराय में था, जहां पुलिस को संदेह है कि उसने वर्दी खुद खरीदी थी। मामले पर थानेदार मिंटू कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस जांच में मांझी द्वारा दी गयी जानकारी की जांच की जा रही है, जो अब तक बेबुनियाद साबित हुई है।