Bihar Land Survey: भूमि सर्वे पर झुकी नीतीश सरकार ! किया स्वीकार- रैयतों को भारी परेशानी हो रही...सर्वे कर्मी नहीं कर रहे मदद, हम लेने जा रहे बड़ा फैसला...
PATNA: बिहार में जमीन सर्वे का काम तेजी से हो रहा है. हालांकि लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कई जगहों से विवाद की भी खबरें आई हैं. सरकार का मानना है कि विधानसभा चुनाव 2025 से पहले भूमि सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया जायेगा. आनन-फानन में और आधी- अधूरी तैयारी के साथ सर्वे कराने मैदान में उतरी नीतीश सरकार के इस निर्सेणय से लोगों में भारी आक्रोश है. गुस्सा तब और बढ़ जा रहा जब सर्वे कर्मी और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारी कागजात देने में मनमानी और जमकर वसूली कर रहे. सरकार इस गुस्से को भांप गई है. लिहाजा बैकफुट पर है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल ने फिर कहा है कि हमने आईएएस अधिकारियों को फील्ड में भेजा था, लोगों की समस्या हमने इकट्ठा किया है. जिससे स्पष्ट हो रहा है कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के कर्मी-अधिकारी और सर्वे कर्मी रैयतों की मदद नहीं कर पा रहे हैं. आम लोगों को कागजात निकालने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में हम जल्द ही आदेश निकालने वाले हैं . हम रैयतों को 3 महीने का समय़ देंगे.
मंत्री ने स्वीकारा- समस्या हो रही है..तीन महीने का समय देंगे
दरअसल, बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल शुक्रवार को सहरसा के दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने सर्वे को लेकर हो रही परेशानी को स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि सर्वे हो जायेगा तो विवाद खत्म हो जायेगा. सर्वे की शुरूआत होने से दो लोगों को ज्यादा परेशानी है. एक तो है जमीन माफिया, जो किसी के नाम की जमीन किसी के नाम पर रजिस्ट्री करा देते थे. दूसरा वैसे लोग परेशान हैं जो 50000 एकड़ जमीन जो सरकारी है, उसका अतिक्रमण किए हुए है. उन लोगों को डर लग रहा है कि सर्वे हो जाने पर उनकी पोल खुल जाएगी. राजस्व मंत्री ने स्वीकार किया कि भूमि सर्वे में आम लोगों को भी काफी दिक्कत हो रही है. क्योंकि राजस्व विभाग के कर्मचारी और सर्वे कार्य में लगे अमीन को जिस तरह से मदद करनी चाहिए थी, उस तरह से मदद नहीं कर पा रहे हैं . इसलिए हमने आईएएस अधिकारियों को गांव में भेजा था. पता लगाया है कि रैयतों को किस तरह की परेशानी हो रही है. मालूम हुआ है कि कागजात या सूचना निकालने में परेशानी हो रही है. अभी हम दो-तीन दिन के अंदर फैसला लेने वाले हैं. हमने विचार किया है कि हम जनता को 3 महीने का समय देंगे,ताकि कागज तैयार कर लें. जल्द ही आदेश जारी होगा.
समय सीमा तय नहीं, आराम से लोग करा लें सर्वे- मंत्री
इधऱ, आज बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के मंत्री महेश्वर हजारी ने साफ कर दिया है कि रैयतों को हड़बड़ाने की कोई जरूरत नहीं है. सभी लोग आराम से सर्वेक्षण का काम कराएं. राजधानी पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने भूमि सर्वे कराने का निर्णय लिया है. इसके लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं. आज 90 फीसदी विवाद जमीन को लेकर होता है. अगर सर्वे ठीक से हो जाय, जोकि सरकार तत्पर है. तब झगड़ा पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा. मंत्री ने कहा कि भूमि सर्वेक्षण को लेकर कागजात जमा करने की कोई समय सीमा नहीं है. टाईम लिमिटेशन नहीं है. स्थिर तरीके से सबलोग सर्वे करा लें, कोई समस्या नहीं होगा. सर्वे हो जाने से सारा झगड़ा खत्म हो जायेगा. शांति से सबलोग यह काम कराएं. यानि मंत्री ने साफ कर दिया है कि भूमि सर्वेक्षण को लेकर कोई समय तय नहीं की गई है.
दरअसल, यह खबर तेजी से फैली है कि रैयतों को वंशावली और अपनी जमीन से संबंधित जानकारी देने के लिए सितंबर महीने तक का ही समय दिया गया है. अगर इस समय सीमा के भीतर जमीन के कागजात जमा नहीं किए तब परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. समय़ सीमा तय होने की बात जब निचले स्तर तक पहुंची, इसके बाद अफरा-तफऱी का माहौल हो गया है. रैयत जमीन संबंधी कागजात तैयार कराने को लेकर सरकारी कार्यालयों की चक्कर लगा रहे हैं. अंचल व अन्य सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार की भी खबरे आने लगी हैं.
बता दें, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने शुक्रवार को सर्वे कार्य की समीक्षा की थी. विभाग के अधिकारियों ने पाया कि दो जिलों में रफ्तार काफी धीमी है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव ने बताया कि सूबे के कई जिलों में स्वघोषणा की संख्या काफी कम है. खासकर गोपालगंज और पूर्वी चंपारण में स्वघोषणा की संख्या काफी कम संख्या में प्राप्त हुआ है. इन जिलों में सर्वे का अनुश्रवण ठीक से नहीं करने के कारण वहां के बंदोबस्त पदाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस देने का निदेश निदेशक, भू-अभिलेख एवं परिमाप को दिया गया है। साथ ही ऑफलाइन मोड में प्राप्त आवेदनों को शीघ्र ऑनलाइन करने का निदेश बंदोबस्त पदाधिकारियों का दिया गया।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व सर्वे को लेकरअफवाह फैला रहे हैं। आमलोगों को इसपर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। अभी स्वघोषणा का काम प्रदेश के 445 अंचलों में चल रहा है। साथ ही सभी मौजों का प्रपत्र-5 यानि तेरीज लिखने का काम जारी है। आनेवाले समय में इसमें और तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि आज की बैठक में राज्य के उन 43041 गांवों की समीक्षा की गई जहां भूमि सर्वेक्षण का काम शुरू है। इन सभी गांवों में सर्वेक्षण की उद्घोषणा कर दी गई है. इसमें से 42561 गांवों को ही निदेशालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। बाकि 480 मौजों को अगले एक सप्ताह में अपलोड करने का निदेश बंदोबस्त पदाधिकारियों को दिया गया।
बैठक से स्पष्ट हुआ कि कुल मौजों में से 41333 मौजों में ग्राम सभा का आयोजन किया जा चुका है। लेकिन निदेशालय की वेबसाइट पर 37974 मौजों को ही अपलोड किया गया है। वेबसाइट पर अपलोड करने के बाद मौजा में हुई सभा का फोटो एवं कार्यवाही को देखा जा सकता है। प्रपत्र-2 में स्वघोषणा की समीक्षा से पता चला कि अभी तक 36 लाख के करीब लोगों ने स्वघोषणा को समर्पित किया है। रैयतों ने करीब 25 लाख स्वघोषणा को शिविरों में जाकर ऑफलाइन एवं करीब 11 लाख ऑन लाइन समिट किया है।
सचिव जय सिंह ने कहा कि विभाग की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोग ऑनलाइन अपनी जमीन का ब्यौरा यानि स्वघोषणा सर्वे निदेशालय की वेबसाइट dlrs.bihar.gov.in पर अपलोड करें। जितना कागजात उपलब्ध है उसे ही प्रपत्र-2 के साथ संलग्न किया जाना है। अगर जमीन खतियानी है तो वंशावली खुद से बनाएं, कोई परेशानी नहीं होगी।आज की बैठक में प्रपत्र-5 यानि खतियान का सार लिखने के काम की भी समीक्षा की गई। सभी जिलों में 20526 मौजों में खतियान लिखने का काम शुरू किया गया है जिसमें 8737 मौजों में खतियान का सार यानि तेरीज लिखने का काम पूर्ण भी कर लिया गया है। खतियान लिखने के काम को और तीव्र करने का निदेश बंदोबस्त पदाधिकारियों को दिया गया। बैठक में उपस्थित भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जे0 प्रियदर्शिनी ने सभी बंदोबस्त पदाधिकारियों को तकनीकी रूप से दक्ष होने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि सर्वे की सभी प्रक्रिया ऑनलाइन है इसलिए इसकी प्रगति की समीक्षा बगैर तकनीकी दक्षता के संभव नहीं है। सभी बंदोबस्त पदाधिकारियों को बिहार सर्वे ट्रैकर एप की मदद से अपने कर्मियों के कार्यों का मूल्यांकन करने की निदेश दिया गया। बिहार सर्वे ट्रैकर एप की मदद से अपने मोबाइल फोन के जरिए कोई भी रैयत अपने गांव में सर्वे की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त कर सकता है और उसमें भाग ले सकता है।