Bihar Smart Meter: बिहार में स्मार्ट मीटर का विरोध, अधिकारियों ने निकाल लिया ये अचूक अस्त्र

Bihar Smart Meter: बिहार में स्मार्ट मीटर का विरोध, अधिकारियों ने निकाल लिया ये अचूक अस्त्र

Bihar Smart Meter: बिहार में प्रीपेड स्मार्ट मीटर को लेकर गांव वालों ने कई अड़ंगे डाल रहे थे . उपभोक्ताओं के नई तकनीक के प्रति संशय और विरोध की भावना को देखते हुए, बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (बीएसपीएचएल) ने एक विशेष अभियान शुरू किया है. अधिकारियों ने उपभोक्ताओं के घर जाकर उन्हें स्मार्ट मीटर के लाभों के बारे में जानकारी दी और यह स्पष्ट किया कि इससे अधिक बिजली बिल नहीं आएगा.

बिजली विभाग के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक पंकज पाल ने उपभोक्ताओं को समझाने के लिए एक अनोखा उपाय अपनाया. उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कि उपभोक्ता स्मार्ट मीटर लगाने में संकोच न करें, उनके घरों में पारंपरिक मीटर और स्मार्ट मीटर दोनों को समानांतर रूप से स्थापित किया गया. इस प्रक्रिया से उपभोक्ताओं को यह देखने का अवसर मिला कि स्मार्ट मीटर कैसे काम करता है और इसके फायदे क्या हैं.

अधिकारियों ने उपभोक्ताओं से फीडबैक लिया और उन्हें बताया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर का उपयोग करने से उन्हें अधिक बिजली बिल का सामना नहीं करना पड़ेगा. इसके अलावा, सरकार द्वारा प्रदान की गई चेक मीटर की सुविधा भी साझा की गई, जिससे उपभोक्ता अपने उपयोग की निगरानी कर सकें.

वहीं बिहार के दरभंगा में स्मार्ट मीटर को लेकर गहमागहमी जारी है. बहादुरपुर प्रखंड के मिल्ली चक गांव के लोग स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध कर रहे हैं. और उनका कहना है कि किसी भी कीमत पर स्मार्ट मीटर नहीं लगेंगे. ग्रामीणों का कहना है कि स्मार्ट मीटर के कारण बिजली का बिल बहुत ज्यादा आ रहा है। इस विरोध के कारण गांव में बिजली गुल हो गई, जिससे निवासियों को गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ा.

कांग्रेस पार्टी ने स्मार्ट मीटर योजना के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है. उनका आरोप है कि यह योजना गरीब जनता पर थोपने का प्रयास है और इससे अदाणी जैसे बड़े व्यवसायियों को लाभ पहुंचाने का उद्देश्य है. कांग्रेस ने 2 अक्टूबर से एक सप्ताह तक रैलियां, हड़तालें और धरना-प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बनाई है.

बहरहाल बिहार में स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर चल रहे विवादों के बीच अधिकारियों ने सक्रिय कदम उठाए हैं ताकि उपभोक्ताओं का विश्वास जीता जा सके.हालांकि, राजनीतिक दलों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों से यह स्पष्ट होता है कि इस मुद्दे पर जन जागरूकता और संवाद की आवश्यकता बनी हुई है.



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