ललित नारायण मिथिला विवि के सीनेट की बैठक में शामिल हुए कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, 15 अरब के घाटे का बजट हुआ पारित
DARBHANGA : दरभंगा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधिषद् की बैठक में पहली बार आने के अवसर पर मुझे काफी प्रसन्नता हो रही है। मैं सभी का हृदय से स्वागत करता हूं। सीनेट के सदस्य अपने- अपने क्षेत्र के विशिष्ट विद्वतजन होते हैं, जिनके सुझावों से ही विश्वविद्यालय आगे बढ़ता है। यह अपने पारिवारिक बैठक जैसा है। इस बैठक में हम न केवल चिंता, बल्कि चिंतन- मनन भी करते हैं, जिससे विश्वविद्यालय का विकास एवं छात्रों का भविष्य बनता है। हमारा काम सिर्फ इस बैठक से पूरा नहीं होगा, बल्कि आज से हमलोग पुनः काम प्रारंभ करेंगे। विश्वविद्यालय ठीक रास्ते पर चले, इसका दायित्व सीनेट का है। सीनेट की बैठक प्रतिवर्ष दो बार होनी चाहिए। एक बैठक बजट पर तथा दूसरा शैक्षणिक एवं विकास के लिए होना चाहिए। उक्त बातें बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने जुबली हॉल में आयोजित मिथिला विश्वविद्यालय के अधिषद् की विशेष बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
कुलाधिपति ने कहा कि शिक्षा व्यक्ति का निर्माण करती है। हमारे स्नातक या स्नातकोत्तर क्या नौकरी मांगने वाले या नौकरी देने वाले बनेंगे? यह चिंतन का विषय है। हमारी पिछली शिक्षा- पद्धति हमें मानसिक रूप से गुलाम बनाती रही है। शिक्षा व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समाज- निर्माण के लिए होनी चाहिए जो सिर्फ व्यक्ति नहीं समाजिक विकास की दिशा में हो। हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 छात्रों को समाज एवं राष्ट्र के लिए कार्य करने की सीख देती है। उन्होंने कहा कि हमारे छात्र जॉब सीकर की बनने की जगह जॉब गीभर बने। युवाओं को सही दिशा दिखाना तथा उनका समुचित मार्गदर्शन करना हमारा कर्तव्य है। विश्वविद्यालय छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अपने दायित्व का निर्वहन करें। उन्होंने नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों की चर्चा करते हुए कहा कि इतिहास से मार्गदर्शन लेकर हमें अपने वर्तमान तथा भविष्य को बेहतर बनाना चाहिए। आने वाला भविष्य युवाओं का है, जिनके अंदर यह हिम्मत होनी चाहिए कि जिस ओर वे चलेंगे, वहीं रास्ता होगा। कुलाधिपति ने कहा कि अभी भारत विकासशील देश है, पर प्रधानमंत्री ने हम सबको संकल्पित किया है कि 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बनेगा, जिसके लिए हम सब शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा योगदान दें कि भारत विकसित हो सके। उन्होंने कहा कि सही राय देने के लिए आप सबके लिए राजभवन के दरवाजे खुले हैं। मैं भी जगह- जगह जाकर लोगों से मिलता हूं और विचार लेता हूं। आप सबके साथ बिहार के लिए काम करना मेरा उद्देश्य है। यहां के अच्छे छात्र दूसरे राज्यों में चले जाते हैं, जिसके लिए हम सब दोषी हैं। हमारा सपना है कि यहां के छात्र यहीं पढ़ें और बाहर के बच्चे भी पढ़ने बिहार आए। इसमें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय भी अपनी भूमिका का निर्वहन करे। कुलाधिपति ने कहा कि विश्वविद्यालय की आंतरिक राशि से विश्वविद्यालय का विकास हो, न कि शिक्षकों के वेतन आदि पर खर्च हो। विश्वविद्यालयों में कार्यरत प्राइवेट डाटा सेन्टर को लेकर बहुत सारी शिकायतें मिलती रही हैं। मैंने कुलपतियों की बैठक में निर्देश दिया है कि प्रत्येक विश्वविद्यालय में स्वयं की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे सालाना खर्च में बचत होगी और परीक्षा परिणाम भी ठीक रहेगा।
अपने स्वागत संबोधन में कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी ने सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक भूमि मिथिला में कुलाधिपति के आगमन को विश्वविद्यालय के लिए गौरव एवं प्रेरणा का पर्याय मानते हुए उनके शैक्षणिक क्षेत्र में योगदानों की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि कुलाधिपति का नेतृत्व क्षमता बिहार के लिए मार्गदर्शन है। सीनेट की बैठक की अध्यक्षता के लिए विश्वविद्यालय की ओर से कुलाधिपति को कृतज्ञता व्यक्त करते हुए गत बैठक के निर्णयों एवं कार्यवृत्तों की जानकारी दी। कुलपति ने विश्वविद्यालय में 60 कमरों का शैक्षणिक भवन बनाने, 40 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों के आयोजन, 170 पीएच डी परिणाम घोषित होने, 2 लाख 15 हजार मूल उपाधियां के वितरण तथा 1,59,783 छात्रों के स्नातक में एवं 11,451 छात्रों के स्नातकोत्तर में नामांकन की जानकारी दी। उन्होंने विगत 3 वर्षों से शिक्षकों एवं कर्मचारियों के सम्मान समारोह के आयोजनों की चर्चा करते हुए विश्वविद्यालय में विगत वर्ष में हुए जगह- जगह पेयजल व्यवस्था, गांधी सदन के जीर्णोद्धार, विगत चार वर्षो से राज्य स्तरीय 2 वर्षीय बीएड एवं 4 वर्षीय बीएड के परीक्षाओं के सफल आयोजनों, अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति, राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय के खेल प्रदर्शनों, एडवांस्ड रिसर्च सेन्टर में स्थापित 10 लैबों, 92 पेंशन मामलों के निष्पादन तथा ऑनलाइन एवं ऑफलाइन वर्गों के संचालन के साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा संचालित सामाजिक दायित्वों की विस्तार से जानकारी दी।
विश्वविद्यालय के वित्तीय परामर्शी डॉ दिलीप कुमार ने वित्तीय वर्ष 2024- 25 का बजट प्रस्तुत किया। बजट कुल आठ खण्डों में विभक्त कर तदनुसार राशि का उपबंध दर्शाया गया है। उन्होंने सभी खण्डों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय इस बजट को प्रतिशत में तथा एक रुपए के आय- व्यय को पैसों में बांटकर दिखाया गया है। बैठक में प्रो विनय कुमार चौधरी, प्रो दिलीप कुमार चौधरी, संजय सरावगी, डॉ अंजीत कुमार चौधरी, विनय कुमार झा, राम शुभम चौधरी, श्याम किशोर प्रधान, गगन कुमार झा, सुरेश प्रसाद सिंह तथा डॉ रामवतार यादव सहित अनेक सदस्यों ने प्रश्नोत्तर में भाग लिया। बजट को ध्वनिमत से पारित किया गया। कुलाधिपति एवं अनेक प्रधान सचिव का स्वागत अंग वस्त्र तथा प्रतीक चिह्नों से किया गया। विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग के छात्र- छात्राओं ने राष्ट्रगान, विश्वविद्यालय कुलगीत तथा स्वागत गान प्रस्तुत किया। बैठक का उद्घाटन दीप प्रज्वलन से हुआ। बैठक में राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू, विशेष अधिकारी (विश्वविद्यालय) प्रीतेश देसाई, सीनेट एवं सिंडिकेट के सदस्य, पदाधिकारी, कर्मचारी एवं प्रेस- मीडिया के व्यक्ति उपस्थित थे। सीनेट की बैठक का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कुलसचिव डा अजय कुमार पंडित ने किया।
दरभंगा से वरुण ठाकुर की रिपोर्ट