खटवे जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने पर हाईकोर्ट में सुनवाई, दी गई दलील - अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर गई राज्य सरकार

PATNA : पटना हाईकोर्ट ने राज्य में अत्यंत पिछड़ा वर्ग के खटवे जाति को अनुसूचित जाति में चौपाल के श्रेणी में शामिल किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता देवेन्द्र रजक की रिट याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने देवेन्द्र रजक की याचिका पर सुनवाई की।

 अधिवक्ता दीनू कुमार ने याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष पेश करते हुए कोर्ट को बताया कि 16 मई,2014 के एक निर्णय में राज्य सरकार ने अत्यंत पिछड़ा वर्ग के खटवे जाति को अनुसूचित जाति के चौपाल की श्रेणी में शामिल कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर और बिना अधिकार के यह निर्णय लिया है। पूर्व के मामलों सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह का निर्णय राज्य सरकार या ट्रिब्यूनल या कोर्ट द्वारा नहीं लिया जा सकता है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि ताती, टटवा और खटवें को अनुसूचित जाति में शामिल करने के निर्णय को राज्य सरकार ने अब तक वापस नहीं लिया है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस संबंध में को एक श्रेणी से दूसरी श्रेणी में शामिल करने का अधिकार संसद को हैं। संसद में कानून पारित होने के बाद राष्ट्रपति के सहमति व हस्ताक्षर के बाद कानून पारित होने पर ही इस तरह के निर्णय  वैधानिक माने जाएंगे। 

कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को  चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश जारी। साथ ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को अपना पक्ष रखने दायर करने के लिए दो सप्ताह का मोहलत दिया है। इस मामले पर फिर सुनवाई 10 सितंबर,2021को होगी।