बिहार के चुनाव पर प्रवासी वोट बैंक पर प्रभाव, कहीं बिगड़ न जाए राजनीतिक दलों का समीकरण

बिहार के चुनाव पर प्रवासी वोट बैंक पर प्रभाव, कहीं बिगड़ न जाए राजनीतिक दलों का समीकरण

कटिहार- लोकसभा चुनाव का पहला चरण समाप्त हो चुका है, 26 अप्रैल को मतदान होना है. ऐसे में पहले चरण में मतदान के प्रतिशत बेहद संतोषजनक नहीं होने से राजनीतिक गणित उलझता दिख रहा है. पूरे देश मे पहले चरण के चुनाव में बिहार में मतदान प्रतिशत कम होने के पीछे मौसम की तपिश एक वजह हो सकता है लेकिन दूसरे चरण के चुनाव से पहले सीमांचल के इलाके की एक महत्वपूर्ण तस्वीर दिखा रहे हैं, 

सीमांचल के कटिहार, पूर्णिया और किशनगंज में 26 अप्रैल को मतदान होना है लेकिन इससे पहले रोजी-रोटी के तलाश में बड़ी संख्या में मजदूर परदेश की रुख करने के लिए बेबस है, मजदूरों के माने तो न चाहते हुए भी परिवार के लोगों को छोड़कर बाहर जाना पड़ता है, ऐसे मे नई सरकार से मजदूरों को उम्मीद है कि  इस इलाके में आगे उद्योग व्यवस्था सृजित होगा ताकि परदेश का रुख न करना पड़े. 

ऐसे में महत्वपूर्ण सवाल यह है की बड़ी तादाद में मजदूर दूसरे चरण के मतदान में वोट नहीं करने से क्या सीमांचल के चुनाव में भी मतदान प्रतिशत को लेकर पक्ष-विपक्ष को परेशानी हो सकता है, कटिहार स्टेशन से मजदूरों की बेबसी और मतदान प्रतिशत को लेकर कशमकश की स्थिति है. वहीं कई राज्यों में बिहार के प्रवासियों ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है. न केवल चुनाव में उतरे, बल्कि जीत भी दर्ज कर राजनीति में अपनी छाप भी छोड़ी.

 

रिपोर्ट- श्याम कुमार सिंह

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