बोचहां जीतने के लिए आज होगा चुनावी रण : हथियार नहीं जनता के वोटों से लड़ी जाएगी यह लड़ाई

PATNA : मुजफ्फरपुर के बोचहां विधानसभा सीट पर होनेवाले उपचुनाव के लिए आज मतदान कराए जाएंगे। चुनाव को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।  जिला निर्वाचन पदाधिकारी प्रणव कुमार ने प्रेस कांफ्रेस कर बताया कि शांतिपूर्ण व निष्पक्ष मतदान संपन्न कराने को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए है। 15 कंपनी अद्र्धसैनिक बलों को चुनाव डयूटी में लगाया गया है। उन्होंने बताया कि उप चुनाव के लिए 350 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इन मतदान केंद्रों पर करीब एक हजार पांच सौ से अधिक चुनाव कर्मी लगाए गए हैं। सोमवार को पोलिंग पार्टियों को उनके केंद्र के लिए रवाना कर दिया जाएगा। इस चुनाव मैदान में भाजपा, राजद और कांग्रेस के साथ वीआइपी के उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं। कुल 13 प्रत्याशी मैदान में हैं।

चुनाव आयोग के मुताबिक बोचहां उपचुनाव को लेकर करीब 1200 मतदाताओं पर एक बूथ का गठन किया गया है. 1250 मतदाताओं से अधिक मतदाता वाले बूथों के साथ ही सहायक मतदान केंद्र का गठन किया गया है. मतदान ईवीएम के माध्यम से होगा. सभी ईवीएम के साथ वीवीपैट भी जोड़े जाएंगे. 


त्रिकोणीय मुकाबला

बोचहां में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं. यहां राजद ने अमर पासवान को, भाजपा ने बेबी देवी और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने गीता कुमारी को उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा चुनावी मैदान में कुल 13 उम्मीदवार हैं. इसमें 10 पुरुष और 3 महिला उम्मीदवार हैं. 16 अप्रैल को वोटों की गिनती होगी.

पिछले साल वीआईपी से विधायक रहे मुसाफिर पासवान के निधन के कारण यहां उपचुनाव हो रहा है. अमर पासवान उन्हीं के बेटे हैं लेकिन उन्होंने अंतिम मौके पर वीआईपी छोड़कर राजद का दामन थाम लिया था. वहीं भाजपा ने इस बार वीआईपी से बोचहां सीट ले ली और अपना उम्मीदवार उतार दिया. इससे एनडीए में दरार आई और मुकेश सहनी न सिर्फ गठबंधन से बाहर हो गए बल्कि उन्हें नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल से भी बाहर कर दिया गया. ऐसे में बोचहां का उपचुनाव तीनों की दलों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है. 

चुनाव में जहां राजद को उम्मीद है कि अपने पिता की विरासत को अमर पासवान संभालने में कामयाब होंगे। वहीं भाजपा को लगता है कि अब तक यहां की जनता भाजपा के साथ रही है, इस बार भी भाजपा ही उनकी पहली पसंद होगी। सबसे कड़ा इम्तेहान यहां पर मुकेश सहनी की वीआईपी के सामने है। उन्हें न सिर्फ यह साबित करना है कि वह एनडीए के बगैर भी कोई चुनाव जीत सकते हैं, बल्कि इसके साथ जिस तरह पिछले विधानसभा चुनाव में मुसाफिर पासवान को जीत मिली थी, उसी तरह इस बार भी वीआईपी कैंडिडेट को वोट मिलते हैं नहीं। बोचहां उप चुनाव काफी हद तक अब अपनी प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई बन कर रह गई है।