22 साल बाद कर्नाटक में दोनों किरदार वही, लेकिन पलट गई बाजी

NEWS4NATION DESK : कर्नाटक में भाजपा की सरकार बन गई है। येदुरप्पा ने सीएम की शपथ ले ली है। बहुमत से दूर होने के बाद भी भाजपा को राजभवन द्वारा दिए गए इस मौके को लेकर पूरे देश की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। पूरा विपक्ष इसे लोकतंत्र की हत्या और केन्द्र की मोदी सरकार पर मनमानी करने और देश में लोकतंत्र की हत्या होने का आरोप लगा रही है। 

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हालांकि ऐसा नहीं है कि देश में यह पहली बार हुआ है जब बहुमत से दूर किसी पार्टी को सरकार बनाने का मौका दिया है। विपक्ष और खासकर कांग्रेस भले ही भाजपा पर मनमानी करने का आरोप लगा ले, लेकिन भाजपा आज वही कर रही है जो कांग्रेस और अन्य दलो ने अपने सत्ता के दौर में उसके साथ किया था। 

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कर्नाटक में राजभवन के फैसले ने 1996 के उस दौर के याद को ताजा कर दिया है जब गुजरात में भाजपा की सरकार को बहुमत हासिल करने के बाद भी केन्द्र सरकार द्वारा वहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। 

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दरअसल 1996 में वजुभाई वाला गुजरात प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे और एच डी देवेगौड़ा देश के प्रधानमंत्री, उस समय गुजरात में  भाजपा शासित सुरेश मेहता सरकार को विश्वास का मत हासिल करना था, विधानसभा के फ्लोर पर विश्वास का मत हासिल करने के बावजूद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।

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केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपाल कृष्णपाल सिंह ने गुजरात में कॉन्स्टिट्यूशनल क्राइसिस घोषित कर दिया और एच डी देवेगौड़ा की सरकार ने उस पर मोहर लगाकर गुजरात में राष्ट्रपति शासन की घोषणा करवा दी थी। 

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आज 22 साल बाद दोनों किरदार वही हैं, वही वजुभाई वाला है--वही एच डी देवेगौड़ा की पार्टी है लेकिन आज बाज़ी कर्नाटक के राज्यपाल के रूप में वजुभाई वाला के हाथ में है।