उपेंद्र कुशवाहा ने दिया एमएलसी पद से त्यागपत्र, नीतीश के खिलाफ किया राजनीतिक संघर्ष का ऐलान – ये है प्लान

पटना. राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने शुक्रवार को बिहार विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपनी सदस्यता छोड़ने की घोषणा पहले की कर दी थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों की आलोचना करने के बाद पिछले दिनों जदयू छोड़कर अलग राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि वे एमएलसी का पद छोड़ रहे हैं. उन्होंने ट्विट कर इसकी जानकारी दी थी कि वे शुक्रवार को इस्तीफा देने वाले हैं. वे अब तक जदयू एमएलसी के तौर पर सदन के सदस्य थे लेकिन इस्तीफा देने के बाद अब वे जदयू से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं.
इस्तीफा देने के बाद कुशवाहा ने सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार पर निशाना साधाा, मुख्यमंत्री जी, "त्वदीयं वस्तु तुभ्यमेव समर्पये।" आज मैंने विधान परिषद् की सदस्यता से इस्तीफा सौंप दिया। मन अब हल्का है। चक्रव्यूह से बाहर आ जाने की सुखद अनुभूति हो रही है। याचना का परित्याग कर रण के रास्ते पर निकल पड़ा हूं।
एमएलसी से इस्तीफा देने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर को दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि उपेंद्र कुशवाहा जमीन बेचकर अमीर नहीं बनता है. आज हम सदन को छोड़कर सड़क पर आ गए हैं और जिन सिद्धातों को लेकर राजनीति कर रहे हैं उसे आगे बढ़ाना है. नीतीश कुमार पर बिहार को ठगने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब उनका नीतीश के खिलाफ राजनीतिक संघर्ष जारी रहेगा. बिहार के हित में उन्होंने नई पार्टी गठित की है.
वहीं बिहार विधान परिषद के सभापति दिनेश चंद्र ठाकुर ने बताया कि उपेंद्र कुशवाहा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है. आज से परिषद में एक पद रिक्त हो गया है. कुशवाहा 17 मार्च, 2021 को विधान परिषद में राज्यपाल की ओर से नामित हुए थे. उनका कार्यकाल 16 मार्च, 2027 तक था. हालांकि दो साल से भी कम समय तक सदन में रहने के बाद उन्होंने त्याग पत्र दे दिया है.
जदयू छोड़ने के पहले पिछले करीब एक महीने से उपेंद्र कुशवाहा लगातार नीतीश कुमार और जदयू अध्यक्ष ललन सिंह को निशाने पर लेते रहे हैं. उन्होंने सवला किया था कि नीतीश ने लालू से कौन सी डील की थी जिसके बाद एनडीए छोड़कर अचानक से वे महागठबंधन में आ गए.