22 साल पहले बेटी की हत्या करने के आरोप में पिता को मिलेगी मौत की सजा, जानें अमेरिका की चौंकाने वाली घटना
US Crime News: अमेरिका के टेक्सास में रहने वाले रॉबर्ट रॉबर्सन के आदमी को गुरुवार (17 अक्तूबर) को मौत की सजा दी जाएगी। उस पर आरोप है कि उसने आज से 22 साल पहले यानी 2002 में अपनी वर्षीय बेटी निक्की कर्टिस की हत्या कर दी थी। हालांकि, इस मामले से एक बहुत बड़ा विवाद जुड़ा है। इसमें शेकेन बेबी सिंड्रोम के इलाज को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक रॉबर्ट रॉबर्सन ने 2002 में अपनी बेटी को इतनी जोर से हिलाया कि उसके सिर पर अंदरूनी चोट लग गई, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई। लेकिन रॉबर्सन लगातार अपने आप को निर्दोष साबित करने का दावा कर रहे हैं।
मामला और वैज्ञानिक विवाद
रॉबर्सन के वकीलों, टेक्सास के कानून निर्माताओं और चिकित्सा विशेषज्ञों के एक समूह का तर्क है कि उनकी सजा पुराने और गलत वैज्ञानिक सबूतों पर आधारित थी। उनका दावा है कि नए शोध से पता चलता है कि निक्की की मौत गंभीर निमोनिया की बीमारी के कारण हुई थी न कि उसके पिता द्वारा किए गए कामों से। रॉबर्सन की बचाव टीम का कहना है कि शेकेन बेबी सिंड्रोम पर आधारित सबूतों को अब outdated माना जा रहा है और यह मामला एक पुराने चिकित्सा सिद्धांत पर आधारित है, जो नए रिसर्च द्वारा खारिज किया जा चुका है।
शेकेन बेबी सिंड्रोम क्या है?
शेकेन बेबी सिंड्रोम एक ऐसी गंभीर दिमागी चोट है, जो तब होती है जब किसी बच्चे के सिर को जोर से हिलाया जाता है या किसी सतह पर पटक दिया जाता है। यह आमतौर पर किसी के द्वारा होता है। इस चोट के परिणामस्वरूप दिमागी पहुंच सकता है, बच्चे के लिए घातक साबित हो सकता है।
बाल रोग विशेषज्ञ की राय
बाल शोषण में विशेषज्ञता रखने वाली बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ. सुज़ैन हैनी के अनुसार, यह चोट बच्चों के दिमाग को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। बच्चों का दिमाग और खोपड़ी बड़ों के मुकाबले अधिक नाजुक होते हैं। इस प्रकार की चोट के परिणामस्वरूप सांस लेने में कठिनाई होती है और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
रॉबर्सन का दावा और न्यायिक प्रक्रिया
रॉबर्ट रॉबर्सन को मौत की सजा गुरुवार को घातक इंजेक्शन के माध्यम से दी जानी है। हालांकि, रॉबर्सन ने लगातार अपनी निर्दोषता का दावा किया है और उनकी बचाव टीम ने अदालत में अपील की है कि उनके खिलाफ लाए गए वैज्ञानिक सबूत अब सही नहीं माने जाते। बचाव पक्ष का तर्क है कि नई मेडिकल रिसर्च से पता चलता है कि निक्की की मृत्यु का कारण शेकेन बेबी सिंड्रोम नहीं, बल्कि गंभीर निमोनिया था, और इसलिए इस सजा को रद्द किया जाना चाहिए।