नेपाल संकट पर बीजेपी का नेताओं को चुप रहने का निर्देश, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के बयान से मचा था बवाल
नेपाल को लेकर बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का हालिया बयान से मचे विवाद के बीच भाजपा ने अपने नेताओं को इस मुद्दे पर चुप रहने के निर्देश दिया है.

Nepal crisis : नेपाल में चल रहे सियासी संकट और जनता के बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने नेताओं, मंत्रियों, प्रवक्ताओं और सांसदों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि वे नेपाल मुद्दे पर किसी भी प्रकार की सार्वजनिक टिप्पणी से बचें। पार्टी ने यह भी कहा है कि सोशल मीडिया पर भी इस संवेदनशील विषय पर कोई बयान या प्रतिक्रिया न दी जाए।
बीजेपी के इस निर्देश की पृष्ठभूमि में बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का हालिया बयान भी माना जा रहा, जिसमें उन्होंने कहा था कि “अगर आज नेपाल भारत का हिस्सा होता, तो वहां इस प्रकार की अराजक स्थिति उत्पन्न नहीं होती।” उनके इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी और नेपाल समर्थकों ने इसे देश की संप्रभुता के खिलाफ बताते हुए तीव्र विरोध दर्ज कराया। सोशल मीडिया पर भी चौधरी के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।
कूटनीतिक चुप्पी जरूरी
सम्राट चौधरी का बयान ऐसे समय में आया है जब नेपाल गहरे राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। वहां की सरकार विरोध प्रदर्शनों और सत्ता संघर्ष से जूझ रही है। वहीं भारत, एक जिम्मेदार पड़ोसी देश होने के नाते, इस पूरे घटनाक्रम पर कूटनीतिक चुप्पी साधे हुए है। ऐसे में बीजेपी नेतृत्व यह नहीं चाहता कि पार्टी के नेता या प्रतिनिधि किसी ऐसे बयान से स्थिति को और संवेदनशील बनाएं।
असंवेदनशील बयान पर रोक
बीजेपी के इस निर्देश को पार्टी की विदेश नीति के प्रति सतर्कता के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि नेपाल भारत का निकटतम पड़ोसी और पारंपरिक मित्र राष्ट्र है, ऐसे में किसी भी असंवेदनशील बयान से भारत-नेपाल संबंधों पर विपरीत असर पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने आंतरिक बैठक में यह दोहराया कि विदेश नीति और कूटनीतिक मामलों पर बयान देना केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय का विषय है, न कि व्यक्तिगत नेताओं का।
गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी बिगाड़ेगा रिश्ता
यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने अपने नेताओं को विदेश मामलों में बोलने से रोका हो, लेकिन नेपाल के मामले में यह सतर्कता विशेष रूप से अहम मानी जा रही है। पार्टी का मानना है कि वर्तमान परिस्थिति में कोई भी गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी दोनों देशों के रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकती है।