N4N DESK - यूपी के पूर्वांचल के कई माफिया गैंगस्टर समाचारों और अपराध जगत में सुर्खियों में रहे हैं. लेकिन एक नाम ऐसा भी है, जिसे लोग यूपी का सबसे बड़ा माफिया डॉन कहते हैं और वो नाम है बाबा उर्फ सुभाष ठाकुर का. जो इस वक्त बनारस की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है. लेकिन उसके रसूख को राजनीति में अनदेखा नहीं किया जा सकता. बाबा के खिलाफ दर्जनों संगीन मामले चल रहे हैं. कई मामलों में उसे दोषी करार दिया जा चुका है. लेकिन सज़ावार होने के बावजूद पिछले पांच सालों से अलग-अलग बीमारियों का हवाला देकर यह जेल की बजाय बीएचयू अस्पताल में इलाज के नाम पर भर्ती था.अब इसके तमाम हथकंडे फेल हो गए है और अब पुलिस ने इसे अस्पताल से डिस्चार्ज करा लिया है और जेल लेकर जा रही है. जेल जाते समय सुभाष ठाकुर व्हीलचेयर पर नजर आया. उसने मिडिया के कैमरा देख हाथ भी जोड़े.वही भारी पुलिस व्यवस्था के बीच बीएचयू ट्रॉमा सेंटर से डिस्चार्ज कराया गया
वाराणसी का रहनेवाला है सुभाष ठाकुर
मूल रूप से वाराणसी के फूलपुर थाना क्षेत्र के नेवादा गांव निवासी सुभाष सिंह ठाकुर उर्फ बाबा ने काम की तलाश में जब सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा ने पहली बार मायानगरी मुम्बई में कदम रखा और देखते ही देखते वो जुर्म की दुनिया के करीब जा पहुंचा. इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो एक बाद एक ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम देने लगा. बताब की बम्बई और अब मुंबई अंडरवर्ल्ड में उसका नाम तेजी से मशहूर हो रहा था. उसके नाम की दहशत भी मुंबई में नजर आने लगी थी. बाबा का नाम मुंबई अंडरवर्ल्ड छाने लगा था. वो वहां के बिल्डरों और बड़े कारोबारियों पर शिकंजा कसता जा रहा था. एक वक्त था जब उसका कारोबार यूपी से लेकर मुम्बई तक फैला हुआ था.
जयराम के पास पहुंचा था दाउद इब्राहिम
जिस दौर में सुभाष ठाकुर का नाम जरायम की दुनिया में चमक रहा था. तभी मुम्बई पुलिस के एक कांस्टेबल का बेटा दाऊद इब्राहिम कासकर अपराध की दुनिया में एंट्री करता है. मगर इस काली दुनिया में दाऊद को भी किसी गुरु की ज़रूरत थी. इसी वजह से वो सुभाष ठाकुर के दरबार में पहुंचा. बाबा ने उसे अपना शिष्य बना लिया. फिर उसे जरायम की दुनिया के पाठ पढ़ाए. वहीं से दाऊद ने जुर्म करने के तरीके सीखे. वहीं से वो पहले एक कुख्यात गैंगस्टर बना और वहीं से दाऊद ने जुर्म करने के तरीके सीखे. वहीं से वो पहले एक कुख्यात गैंगस्टर बना और फिर मुंबई का सबसे बड़ा माफिया डॉन बन गया था.
रिपोर्ट- कुलदीप भारद्वाज