Bihar Arrah News: 56 साल की उम्र में शिक्षा की नई उड़ान, आरा के यशमुद्दीन अंसारी ने 71 फीसदी अंक प्राप्त कर सबको चौंकाया, पास की इंटरमीडिएट
आरा के यशमुद्दीन अंसारी ने 56 साल की उम्र में 12वीं की परीक्षा 71% अंक के साथ पास कर मिसाल कायम की। नौसेना से सेवानिवृत्त यशमुद्दीन अब अपने गांव के स्कूल में संस्कृत शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।

Bihar Arrah News: बिहार के आरा जिले के जगदीशपुर प्रखंड के यशमुद्दीन अंसारी ने कमाल कर दिखाया है। 56 साल की उम्र में उन्होंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के माध्यम से आयोजित 12वीं की परीक्षा दी और 71% अंक प्राप्त कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया।
क्यों उठे सवाल और कैसे दिया जवाब?
यशमुद्दीन अंसारी ने साल 1985 में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। इसके बाद वे 1987 में नौसेना में भर्ती हो गए और वहां स्टोर पेटी ऑफिसर के रूप में सेवा दी। उन्होंने जनवरी 2002 में नौसेना से सेवानिवृत्ति ली और बाद में गुजरात के बिजली विभाग में भी काम किया। 2018 में वे अपने गांव लौट आए। यहीं पर उन्होंने बिहार के विद्यांजलि योजना के तहत संस्कृत शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया।
हालांकि, कुछ सहकर्मियों ने उनकी योग्यता पर सवाल खड़े किए, यह कहते हुए कि मैट्रिक पास व्यक्ति उच्च विद्यालय में कैसे पढ़ा सकता है। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए, यशमुद्दीन ने 2023-24 में स्वतंत्र छात्र के रूप में 12वीं की परीक्षा दी और 358 अंक हासिल कर सबको गलत साबित कर दिया।
यशमुद्दीन की शिक्षा यात्रा
यशमुद्दीन अंसारी का शिक्षा के प्रति समर्पण उनकी नौसेना में भर्ती के जुनून से शुरू हुआ था। उन्होंने बारहवीं की पढ़ाई छोड़कर विशाखापत्तनम में नौसेना ज्वाइन कर लिया था। लेकिन अपने बच्चों की पढ़ाई के दौरान उनका शिक्षा के प्रति प्यार फिर से जाग उठा। 2022 में उन्होंने अपने बेटे का गांव के स्कूल में एडमिशन कराया और खुद भी पढ़ाई शुरू की।
संस्कृत में महारत
यशमुद्दीन अंसारी को संस्कृत व्याकरण में गहरी महारत हासिल है। उनके पढ़ाने का तरीका न केवल अनुकरणीय है बल्कि उनके प्रयासों से विद्यालय में संस्कृत भाषा के प्रति छात्रों का रुझान बढ़ा। विद्यालय की प्रधान शिक्षिका कंचन कामनी ने बताया कि यशमुद्दीन की मेहनत और लगन से छात्रों को संस्कृत में अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद मिली है।
प्रेरणादायक यात्रा
यशमुद्दीन अंसारी की कहानी एक ऐसी प्रेरणा है जो यह साबित करती है कि शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती। अपने आत्मसम्मान और योग्यता को साबित करने के लिए उन्होंने न केवल खुद को चुनौती दी, बल्कि समाज के सामने भी एक मिसाल पेश की। उनकी यह यात्रा उन सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो अपने जीवन में किसी भी उम्र में नई ऊंचाइयों को छूने का सपना देखते हैं।