Patna Bettiah Expressway: बिहार के विकास में अहम भूमिका निभाते हुए, पटना-बेतिया फोरलेन एक्सप्रेसवे का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। इस एक्सप्रेसवे से पटना से बेतिया तक की यात्रा का समय करीब तीन घंटे कम हो जाएगा। फिलहाल, इस मार्ग पर यात्रा में पांच से छह घंटे लगते हैं, लेकिन फोरलेन के बन जाने के बाद यह सफर केवल तीन घंटे में पूरा किया जा सकेगा।
यह एक्सप्रेसवे कई चरणों में बनाया जा रहा है, जिसमें से पहले चरण का काम प्रगति पर है। दूसरे चरण की दूरी मानिकपुर से साहेबगंज तक 44.65 किलोमीटर है, जबकि तीसरे चरण की लंबाई साहेबगंज से अरेराज तक 39.64 किलोमीटर है। चौथा और अंतिम चरण अरेराज से बेतिया तक होगा।
निर्माण की पूरी योजना
इस एक्सप्रेसवे का मार्ग पटना में एम्स गोलंबर से शुरू होकर दीघा के जेपी सेतु से गुजरेगा और बकरपुर, मानिकपुर, साहेबगंज, केसरिया और अरेराज होते हुए बेतिया के निकट एनएच 727 से जुड़ जाएगा। इस परियोजना में पटना के जेपी सेतु के समानांतर 6.92 किमी लंबा छह लेन पुल भी शामिल है, जो इस सड़क का अहम हिस्सा होगा।
बख्तियारपुर से मोकामा फोरलेन: 95% निर्माण कार्य पूरा
पूर्वी पटना के लोगों को जल्द ही बख्तियारपुर से मोकामा के बीच 44 किमी लंबी फोरलेन सड़क का तोहफा मिलेगा। इस परियोजना का 95 फीसदी काम पूरा हो चुका है और मार्च 2025 तक गाड़ियां इस पर दौड़ने लगेंगी फोरलेन सड़क के बन जाने से पटना से मोकामा तक की यात्रा सिर्फ आधे घंटे में पूरी हो सकेगी, जो वर्तमान में डेढ़ घंटे लगती है। इस सड़क का निर्माण कार्य फरवरी 2016 में शुरू हुआ था और इसकी लागत लगभग 1167 करोड़ रुपये है। यह सड़क पूर्वी बिहार के साथ-साथ बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय और पूर्वोत्तर बिहार के लाखों लोगों को हर दिन राहत प्रदान करेगी। साथ ही, उत्तर बिहार के अन्य क्षेत्रों में आने-जाने की सुविधा भी आसान हो जाएगी।
पटना-आरा-सासाराम हाईवे: हाइब्रिड एन्युटी मोड में होगा निर्माण
केंद्र सरकार ने पटना-आरा-सासाराम (4-लेन) हाईवे परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना का निर्माण मार्च 2025 से शुरू हो सकता है, जिसकी लागत करीब 3,900 करोड़ रुपये आएगी। इस हाईवे के बनने से पटना, भोजपुर और रोहतास जिलों के बीच आवागमन सुगम हो जाएगा। यह हाईवे हाइब्रिड एन्युटी मोड (HAM) में बनेगा, जिसमें परियोजना लागत का 40% हिस्सा सरकार द्वारा दिया जाएगा और शेष 60% निजी क्षेत्र द्वारा। इस मॉडल से निर्माण कार्य में विलंब और लागत बढ़ने की आशंका कम हो जाती है, और परियोजनाएं समय पर पूरी हो पाती हैं।