Brij Bihari Murder Case: बृज बिहारी प्रसाद की हत्या का मामला किसी सिनेमा की कहानी से इतर नहीं है. तभी तो 13 जून 1998 को बृज बिहारी की हत्या के पहले इसके तार मोतिहार, मुजफ्फरपुर, मोकामा तक से जुड़े. और तार तो गोरखपुर वाले श्री प्रकाश शुक्ला से भी जुड़ा था. वही श्री प्रकाश शुक्ला जिसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी ली थी. वही श्री प्रकाश शुक्ला जिसने भाजपा सांसद साक्षी महाराज की हत्या करने की तैयारी की थी. वही श्री प्रकाश शुक्ला जिसने महज 25 साल की उम्र में जुर्म की दुनिया में बादशाहत हासिल कर ली थी. 20 से ज्यादा हत्याओं को करने का आरोप अपने माथे पर लिए श्री प्रकाश शुक्ला पर सबसे पहले वर्ष 1993 में हत्या करने का आरोप लगा.
कहते हैं गोरखपुर में एक रोज कॉलेज से लौटते वक्त बाजार में श्रीप्रकाश की बहन के साथ एक शख्स ने छेड़खानी कर दी. मास्टर पिता की संतान श्री प्रकाश को जब यह पता चला तो वह पुलिस के पास जाने के बदले सीधे बहन को छेड़ने वाले के पास चला जाता है. और फिर श्री प्रकाश ने गुस्से में जिस शख्स की हत्या की वह वीरेंद्र शाही का आदमी होता है. वही वीरेंद्र शाही जिनकी अदावत हरिशंकर तिवारी से थी. कहते हैं इसी घटना के बाद श्री प्रकाश शुक्ला तब हरिशंकर तिवारी के सम्पर्क में आता है. फिर हरि शंकर के बारे में ही कहा जाता है कि उनकी मदद से 20 साल में श्री प्रकाश शुक्ला बैंकाक चला जाता है.
और फिर क्या था श्री प्रकाश शुक्ला ने महज कुछ वर्षों में ही अपराध की दुनिया में इस कदर नाम कमाया कि यूपी से बिहार से तक हर कोई उसे जानने लगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल था कि आखिर वह कौन शख्स था जिसके जैसा रुतबा श्री प्रकाश शुक्ला चाहता था. तो श्री प्रकाश शुक्ला जो बनना चाहता था वह नाम था सूरजभान सिंह. बिहार के मोकामा वाले सूरजभान जिन्हें अंडर वर्ल्ड का सबसे बड़ा डॉन कहा जाता था. इसका खुलासा गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर करने वाले अधिकारी राजेश पांडेय ने अपनी किताब में भी किया है.
राजेश पांडेय ने बताया, बिहार के मोकामा से निर्दलीय विधायक और बाद में बलिया से सांसद बने सूरजभान सिंह की श्रीप्रकाश शुक्ला से गहरी दोस्ती थी या यूं कहें कि श्री प्रकाश शुक्ला तो सूरजभान को अपना गुरु मानता था. पूर्वांचल के कई टेंडरों में वीरेंद्र शाही और हरिशंकर तिवारी का दखल होता था, जिसकी वजह से बिहार के सूरजभान को दिक्कत होती थी. ऐसे में गोरखपुर से अपने लिए सूरजभान ने श्री प्रकाश शुक्ला जैसे फौलाद को खड़ कर दिया. और देखते ही देखते मोकामा के सूरजभान का जलवा बिहार, यूपी और दिल्ली तक दिखने लगा.
श्री प्रकाश शुक्ला के बारे में कहा जाता है कि उसने यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या के लिए 6 करोड़ रुपये में सुपारी ले ली थी. और जब इस बात के जानकारी सीएम कल्याण सिंह और केंद्र सरकार को लगी तो सबके होश उड़ गए. उसके बाद ही उत्तर प्रदेश में पहली बार एसटीएफ का गठन किया गया है. पूरे देश में किसी एक अपराधी से निपटने के लिए एसटीएफ की बनी यह पहली यूनिट थी. तो इस श्री प्रकाश शुक्ला के बारे में कहा जाता है कि यह सूरजभान सिंह को अपना गुरु मानता था.
और इसी श्री प्रकाश शुक्ला पर आरोप लगा कि उसने ही बृज बिहारी प्रसाद की हत्या में सबसे अहम भूमिका निभाई. लेकिन यह भी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं थी. लालू यादव ने जिसकी सुरक्षा में कमांडों तैनात किए थे. जो बृज बिहारी सबसे बड़े साजिशकर्ता माने जाते थे उनकी हत्या कर देना कोई आसान काम थोड़े था. इसलिए यह अकेले श्री प्रकाश शुक्ला के बस की बात नहीं थी कि वह बृज बिहारी को खत्म कर दे.
तो लौटते हैं मुजफ्फरपुर जहां अगस्त 1997 में भुटकुन शुक्ला की हत्या के बाद मुन्ना शुक्ला ने ऐलान किया कि खून का बदला खून से लेंगे. यानी बृज बिहारी प्रसाद को सबक सिखाकर रहेंगे. पहले ही शुक्ला ब्रदर्स की दोस्ती मोतिहारी वाले देवेंद्र दुबे और मोकामा वाले सूरजभान से थी. ऐसे में मुन्ना शुक्ला ने अब बृज बिहारी को कैसे सबक सिखाया जाए इसकी तैयारी शुरू कर दी. क्योंकि बदला देवेंद्र दुबे की हत्या का लेना था. छोटन शुक्ला की हत्या का लेना था, भुटकुन शुक्ला की हत्या का लेना था... और उन दर्जनों लोगों की मौत का बदला लेना था जिनकी हत्या में बृज बिहारी प्रसाद पर साजिश रचने का आरोप था. तो तारीख तय की गई 13 जून 1998 ... इसी तारीख को बृज बिहारी को खत्म कर देना था.
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