Bihar News : सियासी प्रतिद्वंद्विता में विरोधियों के लिए आपत्तिजनक अपशब्द बोलने वाले राजनेताओं की संख्या आए दिन बढ़ते जा रही है. ऐसा ही एक मामला हाल में एक टीवी चैनल पर देखने को मिला जब बीजेपी प्रवक्ता के आपत्तिजनक अपशब्द का शिकार बिहार मूल के एक नेता हो गए. लेकिन इसे लेकर सियासत गरमा गई है और अब 'यूपी-बिहार कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा' का नारा अखिलेश यादव ने दिया है.
समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने आप विधायक ऋतुराज झा के खिलाफ बीजेपी प्रवक्ता द्वारा आपत्तिजनक भाषा के उपयोग करने पर भाजपा को आड़े हाथों लिया है. भाजपा प्रवक्ता की टिप्पणी को अत्यंत अपमानजनक बताते हुए कहा कि इस अपमान को पूर्वांचली कभी भूलेंगे नहीं.
अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर उन्होंने इसे लेकर भाजपा को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा, 'भाजपा के एक राष्ट्रीय प्रवक्ता द्वारा एक राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल पर आम आदमी पार्टी, दिल्ली के एक निर्वाचित विधायक के उपनाम को बिगाड़कर, उस उपनाम के लिए अत्यंत आपत्तिजनक अपशब्द का इस्तेमाल करना दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं बल्कि घोर निंदनीय भी है। ये कथन भाजपा की उप्र, बिहार और पूर्वांचलियों के प्रति उस संकीर्ण सोच को दर्शाता है, जो हमेशा नकारात्मक रही है। ये किसी माफ़ी से ख़त्म होनेवाला मामला नहीं है। इस 'शब्द-बाण' से अपमानित हुए पूर्वांचली, इसे कभी भूलेंगे नहीं। यूपी-बिहार कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!'
भाजपा की यही मानसिकता
अखिलेश यादव की आपत्ति का समर्थन आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी किया है. उन्होंने कहा, 'अखिलेश जी, बीजेपी के प्रवक्ता ने जो बोला, वो बीजेपी की मानसिकता दिखता है। उनके नेता सुबह शाम केवल गालियाँ देने का काम करते हैं। कभी महिलाओं को गालियाँ देते हैं, कभी पूर्वांचली समाज को गाली देते हैं। और जो जितनी बड़ी और गंदी गाली देता है, उसको उतना बड़ा पद मिलता है। पूरे पूर्वांचली समाज के लिए इनके द्वारा बोले गए ये अपमानजनक शब्द बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। इसका जवाब पूर्वांचली समाज बटन दबाकर देगा।'
भाजपा में भी गुस्सा
बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला पर आरोप है कि उन्होंने एक टीवी डिबेट में आप विधायक ऋतुराज झा के खिलाफ अपशब्द का इस्तेमाल किया. अब इस पर भाजपा के भीतर भी पूनावाला के खिलाफ गुस्सा देखा गया है. भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने उनसे माफी की मांग की है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा असर
दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. 70 सीटों वाले दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सरकार पिछले दस साल से है. वहीं दिल्ली के मतदाताओं में एक बड़ा वर्ग बिहार और यूपी के वोटरों का है. माना जाता है कि दिल्ली में कुल 1.5 करोड़ मतदाताओं में एक तिहाई पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से आने वाले पूर्वांचली हैं, जो कम से कम 20 विधानसभा क्षेत्रों के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं. बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों ही पूर्वांचली समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रही हैं.