बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

BIHAR NEWS - बाढ़ अनुमंडल का बख्तियारपुर - ताजपुर फोरलेन पुल 13 वर्षों में भी नहीं हो सका पूरा, मुख्यमंत्री का है ड्रीम प्रोजेक्ट

BIHAR NEWS - सीएम नीतीश के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुए गंगा नदी पर बन रहा करजान-ताजपुर पुल का निर्माण 13 साल भी अधूरा है। इस दौरान निर्माण की राशि में लगभग दोगुना बढ़ोतरी हो गया है। यहां के लोगों को पुल के निर्माण पूरा होने का इंतजार है।

BIHAR NEWS - बाढ़ अनुमंडल का बख्तियारपुर - ताजपुर फोरलेन पुल 13 वर्षों में भी नहीं हो सका पूरा, मुख्यमंत्री का है ड्रीम प्रोजेक्ट

BADH - बाढ़ अनुमंडल के अथमलगोला प्रखंड के करजान -ताजपुर फोरलेन पुल का निर्माण बीते 13 वर्षों से किया जा रहा है फिर भी पुल का आधे से अधिक हिस्सा अभी तक नहीं बन पाया है।  बता दें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक बहुप्रतीक्षित करजान -ताजपुर गंगा फोरलेन सेतु के निर्माण की नींव नवंबर 2011 में मुख्यमंत्री के द्वारा ही रखी गई थी। इस पुल के निर्माण पूरा होने का प्रथम डेड लाइन 2016 था, लेकिन फिर इसका डेड लाइन बढ़ाकर 2020 कर दिया गया लेकिन फिर ये कोरोना की वजह से पूरा नहीं हो सका। 

नवयुगा कंपनी को पुल निर्माण की जिम्मेवारी सौंपी गई है। बीच में पुल का एक हिस्सा लॉन्चर के गिर जाने से निर्माण से पहले ही टूट गया था। उसके बाद काफी दिनों तक पुल निर्माण कार्य रुका रहा। दूसरी बाधा तब आई जब पुल निर्माण को लेकर किसानों द्वारा ली गई भूमि का मुआवजा न मिलने से किसानों द्वारा प्रदर्शन करते हुए निर्माण कार्य को रोक दिया गया था। लोगों की मानें तो दूसरी तरफ अधिकारियों की लापरवाही से पुल निर्माण के कार्य में विलंब हो रहा है। 

167 किसानों की ली गई भूमि

इस पुल निर्माण हेतु 167 किसानों की भूमि ली गई है और सबको मुआवजा दिया जाना है। अनुमंडल पदाधिकारी बाढ़ ने बताया कि अभी तक 24 किसानों को मुआवजा दी जा चुकी है। जिन किसानों को मुआवजा अभी तक नहीं मिला है उन्हें जमीन के उचित कागज़ात अंचल में जमा कराने को कहा गया है। इधर किसानों का कहना है कि पुस्तैनी जमीन होने के कारण कई जमीनों के कागजात पूरे नहीं है। जमीन की रशीद कटाने व कागजात ठीक कराने के लिए ब्लॉक में जाते हैं तो उन्हें टहला दिया जाता है।

1268 करोड़ बढ़ गई निर्माण की राशि

 पुल निर्माण की शुरुआत के समय पुल का प्राक्कलित राशि लगभग 1608 करोड़ थी जिसे बढ़ाकर अब 2875 करोड़ रुपए कर दी गई है। यानी पुल निर्माण की अवधि बढ़ने के साथ साथ पुल के निर्माण की लागत बढ़ती गई। अब पुल निर्माण का डेड लाइन 2026 रखा गया है। जबकि प्रोजेक्ट सुपरवाइजर की मानें तो पुल का अभी सिर्फ 60 प्रतिशत हिस्सा ही बनकर तैयार हुआ है। 

एक वर्ष में कैसे करेंगे 40 परसेंट काम

सवाल ये है कि पिछले 13 वर्षों में जब 60 प्रतिशत हिस्सा तैयार हुआ है तो क्या 1 वर्ष में 40 प्रतिशत बचा काम पूरा हो पाएगा? या फिर एक नई डेड लाइन दी जाएगी। स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार पुल का निर्माण कार्य स्थगित भी हुआ और कंपनी के अधिकारियों के घोर लापरवाही के कारण काम बहुत ही मंद गति से चल रहा है।

5.5 किमी लंबा पुल, उत्तर और दक्षिण बिहार के लोगों को होगा फायदा

बता दें कि गंगा नदी पर बनाए जा रहे 5.5 किलोमीटर लंबा पहुंच पथ लेकर 7.2 किलोमीटर लंबा यह फोरलेन पुल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसके बन जाने से उत्तर बिहार के समस्तीपुर, वैशाली, और मुजफ्फरपुर को पटना जिला से सीधा जोड़ा जा सकेगा। पटना और नालंदा जिला के लोगों को उतर बिहार के किसी भी जिला में जाने के लिए अब पटना नहीं जाना पड़ेगा । इससे पटना के गांधी सेतु पर दबाव भी कम होगा। पटना और समस्तीपुर के बीच की दूरी 60 किलोमीटर कम हो जाएगी और समय की भी बचत होगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री द्वारा पुल हवाई निरीक्षण भी किया गया है और कंपनी के अधिकारियों को जल्द से जल्द निर्माणकार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। 


बाढ़ से रविशंकर कुमार की रिपोर्ट।

Editor's Picks