Bihar Education Department: हाल ही में शिक्षा विभाग ने एक फ़रमान जारी किया है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि किसी विश्वविद्यालय ने बिना अनुमति के निर्माण कार्य किया है, तो उस पर नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकार की कार्रवाई में वित्तीय दंड, निर्माण कार्य को रोकना या यहां तक कि विश्वविद्यालय का बजट पास न करना शामिल हो सकता है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि सभी शैक्षणिक संस्थान नियमों का पालन करें और अव्यवस्थित तरीके से काम न करें।
बिहार के शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों पर कड़ी नजर रखने का फैसला किया है। विभाग ने एक नए आदेश में कहा है कि अब किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य शुरू करने से पहले विश्वविद्यालयों को शिक्षा विभाग से अनुमति लेनी होगी।
महाविद्यालयों को निर्माण कार्य से संबंधित सभी जानकारी जैसे कि अनुमानित बजट, निर्माण का नक्शा आदि को विभाग के पोर्टल पर अपलोड करना होगा।विभाग इस जानकारी की समीक्षा करेगा और तभी निर्माण कार्य की अनुमति देगा।अगर कोई विश्वविद्यालय या महाविद्यालय बिना अनुमति के निर्माण कार्य शुरू करता है तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, निर्माण कार्य के लिए खर्च किए गए पैसे की वसूली भी की जाएगी और भविष्य में बजट भी जारी नहीं किया जाएगा।
शिक्षा विभाग ने न केवल निर्माण कार्यों पर बल्कि अन्य मामलों पर भी सख्ती दिखाई है। विभाग ने सभी शिक्षकों और कर्मचारियों की जानकारी को पे-रोल पोर्टल पर अपलोड करने का आदेश दिया है। इस जानकारी में शिक्षक का नाम, पता, पारिवारिक स्थिति, ज्वाइनिंग तिथि, रिटायरमेंट तिथि, वेतनमान आदि शामिल होंगे। विभाग के सचिव ने कहा है कि सभी आवश्यक जानकारी को 2025-26 तक पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाना चाहिए।
पटना से प्रगति शर्मा की रिपोर्ट