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Bihar Land Survey: 500 रुपए खर्च फिर भी नहीं हुई जमीन की मापी, अब दफ्तर के चक्कर लगा रहा किसान

कैमूर जिले का एक किसान अपनी जमीन की मापी कराने के लिए काफी परेशान है। उसने अंचल कार्यालय में ऑनलाइन आवेदन किया और निर्धारित शुल्क भी जमा किया, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण उसकी जमीन की मापी नहीं हो पाई।

Bihar Land Survey: 500 रुपए खर्च फिर भी नहीं हुई जमीन की मापी, अब दफ्तर के चक्कर लगा रहा किसान

कैमूर जिले के चांद गांव के निवासी रामाधार साह ने अपनी जमीन की मापी के लिए अंचल कार्यालय में ऑनलाइन आवेदन किया। उन्होंने इस प्रक्रिया के तहत 500 रुपये की फीस भी जमा की, लेकिन जब उनकी भूमि मापी के लिए अमीन आंचल यादव को जिम्मेदारी दी गई, तो तकनीकी समस्या का सामना करना पड़ा। इस समस्या के चलते विभाग ने उनकी मापी पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे आवेदक को कोई सूचना नहीं मिली।

रामाधार साह और उनके परिवार ने कई दिनों तक अंचल कार्यालय में न्याय का इंतजार किया। आखिरकार, जब उन्होंने कार्यालय जाकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की, तो उन्हें बताया गया कि उनका आवेदन रद्द कर दिया गया है और उन्हें दोबारा आवेदन करना पड़ेगा। यह स्थिति विशेष रूप से निराशाजनक थी, क्योंकि 500 रुपये की ऑनलाइन फीस जमा करने के बावजूद उनका आवेदन ठंडे बस्ते में चला गया।

इस मामले में रामाधार साह के पुत्र जितेंद्र कुमार और अशोक कुमार भी लगातार अंचल कार्यालय जाकर अपनी व्यथा सुनाते रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए स्थानीय अधिकारियों से भी संपर्क किया, लेकिन किसी ने उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया।

अंचल अधिकारी सतीश कुमार गुप्ता ने इस मामले को संज्ञान में लेने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि मामला उनकी जानकारी में आया है और इसकी जांच कराई जाएगी। हालांकि, आवेदक और उनके परिवार की परेशानी को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या सरकारी विभागों में इस प्रकार की लापरवाही आम बात बन गई है?

इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि सरकारी कार्यप्रणाली में सुधार की आवश्यकता है, ताकि नागरिकों को उनकी अधिकारों की पूर्ति के लिए बार-बार न्याय के दरवाजे पर ना जाना पड़े। नागरिकों को उनकी सेवाओं के लिए भुगतान करने के बावजूद उचित समय पर सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। रामाधार साह और उनके परिवार ने अपनी समस्याओं के समाधान के लिए न्याय की गुहार लगाई है, और देखना होगा कि क्या प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से लेता है

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