Motihari news: बिहार के मोतिहारी श्रम कार्यालय में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में बड़े पैमाने पर घोटाले की बात सामने आई है। यह योजना गरीब मजदूर परिवारों की बेटियों की शादी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। हालांकि, भ्रष्ट अधिकारियों और दलालों के गठजोड़ ने इस योजना को फर्जी लाभुकों के नाम पर करोड़ों रुपये के गबन का साधन बना दिया।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
मोतिहारी के कोटवा प्रखंड में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत कई फर्जी लाभुकों को अनुदान दिए जाने के सुबूत मिले हैं। गुड्डू शर्मा, ग्राम रोहुआ निवासी, ने योजना के तहत ₹50,000 का अनुदान लिया। उनके आवेदन में उनकी पत्नी की उम्र 21 साल दर्ज है। सवाल उठता है कि 21 साल की महिला 18 साल की बेटी की मां कैसे हो सकती है?ऊषा देवी, ग्राम कररिया निवासी, ने अपनी वंशावली में यह स्पष्ट किया कि उनके केवल चार पुत्र हैं और कोई बेटी नहीं है। इसके बावजूद उन्हें इस योजना का लाभ दिया गया।राजकुमार शर्मा, ग्राम पुरानीडीह निवासी, ने ₹50,000 का अनुदान लिया। उनकी पत्नी की उम्र केवल 25 साल है, फिर 18 साल की बेटी कैसे हो सकता है।
कैसे संभव है?
कई श्रम प्रवर्तन पदाधिकारियों ने बिना जांच-पड़ताल किए, 50% कमीशन के आधार पर फर्जी लाभुकों को अनुदान वितरित किया। यह मामला केवल कोटवा प्रखंड तक सीमित नहीं है। हरसिद्धि प्रखंड के मानिकपुर हसुआहा पंचायत में भी करीब 400 लोगों को अनुदान दिया गया, जिनमें से अधिकांश फर्जी पाए जा सकते हैं।
जिला श्रम विभाग की भूमिका और प्रतिक्रिया
जिला श्रम अधीक्षक अनिल कुमार सिंह का कहना है कि अब तक तीन फर्जी मामलों की पहचान की गई है और उनसे अनुदान की रिकवरी की गई है।उन्होंने कहा कि यदि और मामले सामने आते हैं, तो उनकी जांच की जाएगी।सूत्रों के अनुसार, फर्जी भुगतान की संख्या बहुत अधिक है और यदि विस्तृत जांच की जाए, तो घोटाले की रकम करोड़ों रुपये तक पहुंच सकती है।
योजना का उद्देश्य और भ्रष्टाचार का प्रभाव
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना का उद्देश्य गरीब मजदूर परिवारों की बेटियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना था।श्रम विभाग के निबंधित मजदूरों को दो बेटियों की शादी के लिए ₹50,000-₹50,000 का अनुदान।पात्रता की जांच के लिए मजदूरों का लेबर कार्ड और सही वंशावली की आवश्यकता।
योजना पर भ्रष्टाचार का प्रभाव
भ्रष्टाचार और फर्जी लाभुकों के कारण असली जरूरतमंदों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा। फर्जी भुगतान से सरकारी धन का भारी दुरुपयोग हो रहा है।
आगे की जरूरत
सख्त जांच और निगरानी: सभी जिलों में श्रम विभाग द्वारा वितरित अनुदानों की विस्तृत जांच की जानी चाहिए।
पारदर्शिता: आवेदन और भुगतान प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए।
दोषियों पर कार्रवाई: फर्जी लाभुकों और घोटाले में शामिल अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
(मोतिहाृरी से हिमांशु की रिपोर्ट)