Bihar School Mid-Day-Meal: नई दिल्ली और बिहार में मिड-डे मील आपूर्ति करने वाले एनजीओ पूर्वांचल समाज सेवा संघ द्वारा बच्चों को मिलावटी खाना परोसे जाने का गंभीर मामला सामने आया है। फूड एवं सेफ्टी डिपार्टमेंट की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि यह खाना बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है।
जांच में खतरनाक मिलावट का खुलासा
खगड़िया जिले के बलुआही में एनजीओ द्वारा संचालित किचन से फूड एवं सेफ्टी डिपार्टमेंट ने सैंपल लिए थे। इन सैंपलों की जांच पटना के अगमकुआं स्थित फूड एवं ड्रग्स लैब में विशेषज्ञ महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा की गई। जांच में निम्नलिखित खामियां पाई गईं:
खिचड़ी में मेटानील येलो कलर: यह रंग स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है और खाद्य नियमों का उल्लंघन है।
नमक में आयोडीन की कमी: नमक में आयोडीन की मात्रा 15 पीपीएम होनी चाहिए, जबकि जांच में केवल 5.3 पीपीएम पाई गई। आयोडीन की कमी से घेघा रोग का खतरा बढ़ जाता है।
एनजीओ पर कार्रवाई और लापरवाही का मामला
जांच रिपोर्ट आने के बाद बेगूसराय जिले के खाद्य संरक्षा अधिकारी ने खगड़िया के अपर समाहर्ता सह न्याय निर्णायक पदाधिकारी को अभियोजन वाद चलाने की सिफारिश की। हालांकि, एनजीओ संचालक ने अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर मामले को दबाने की कोशिश की। लाइसेंस की जांच रिपोर्ट 1 अगस्त 2024 को आई थी, लेकिन 24 सितंबर 2024 को एनजीओ ने अपना लाइसेंस नवीनीकरण करवा लिया।
खिचड़ी में मिलावट: बच्चों की सेहत पर असर
विशेषज्ञों ने मिड-डे मील के लिए परोसी जा रही खिचड़ी में मेटानील येलो कलर और नमक में आयोडीन की कमी को गंभीर बताया है। मेटानील येलो कलर बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। आयोडीन की कमी बच्चों को कमजोर और रोगग्रस्त बना सकती है।
भविष्य की कार्रवाई की मांग
भास्कर की जांच से यह भी सामने आया कि एनजीओ न केवल नई दिल्ली बल्कि बिहार के खगड़िया और बांका में मिड-डे मील कार्यक्रम के लिए रजिस्टर्ड है। बच्चों की सेहत को प्राथमिकता देते हुए संबंधित विभागों को तत्काल सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। फूड एवं सेफ्टी डिपार्टमेंट के नियमों का पालन सुनिश्चित करना अनिवार्य है। यह मामला सरकारी नीतियों और बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। समय रहते उचित कदम उठाना बेहद जरूरी है।