Foreign cyber fraud: बिहार के दूरदराज के गांवों में विदेशी साइबर ठगों द्वारा ठगी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। अकेले पाकिस्तान से औसतन 600 कॉल प्रतिदिन इन क्षेत्रों में की जा रही हैं। पिछले डेढ़ साल में 22,000 से अधिक लोग इस ठगी के शिकार हो चुके हैं। इन ठगों का नेटवर्क इतना संगठित है कि वे स्थानीय भाषाओं में भी प्रशिक्षित हैं, जिससे वे अधिक लोगों को अपने जाल में फंसा सकते हैं।
ठगी का तरीका और उसकी योजना
साइबर ठग +91 के अलावा अन्य अंतरराष्ट्रीय कोड्स से कॉल करते हैं। इनमें सऊदी अरब और पाकिस्तान से आने वाली कॉल्स की संख्या सबसे अधिक है। ठग स्थानीय भाषाओं जैसे भोजपुरी, मैथिली, और मगही में बात करके लोगों का विश्वास जीत लेते हैं। ये कॉल्स अक्सर परिचितों की तरह होती हैं, जिससे लोग बैंक और आधार कार्ड की जानकारी साझा कर देते हैं।
क्षेत्रीय भाषा में ठगी के उदाहरण:
"हम अहांक गांव से बजैत छी, हमरा पांच हजार रुपया चाहि, भेज दिए।"
"अहांक दादी के पेंशन के पैसा अहांक खाता में भेज रहल छी, ओटीपी बताउ।"
"अहांक एटीएम छह महीने में खत्म भ जैत, एटीएम कार्ड के नंबर बताउ।"
"अबर देश घूम के लेल अहांक लॉटरी निकलल या, अपन जानकारी भेजूत टिकट भेजअ के आगू के प्रक्रिया हेत।"
संचार विभाग की पहल
संचार विभाग ने 'संचार साथी' पहल के तहत दस देशों को चिन्हित किया है, जहां से ऐसी ठगी की कॉल्स आ रही हैं। विभाग ने जनता से अपील की है कि वे +91 के अलावा किसी भी अन्य कोड से आने वाली कॉल्स न उठाएं और अपनी निजी जानकारी किसी के साथ साझा न करें।
सतर्कता के लिए अधिकारियों की सलाह
बिहार-झारखंड के संचार विभाग के डीजी बाबू राम ने कहा है कि ऐसे कॉल्स से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि किसी भी अनजान नंबर से आने वाले कॉल्स को अनदेखा करना चाहिए और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस को देनी चाहिए।
साइबर ठगी के मामलों में तेजी
साइबर ठगी के मामलों में तेजी से वृद्धि चिंताजनक है। भारत के नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए और साइबर ठगी के हर संभावित संकेत को गंभीरता से लेना चाहिए। सुरक्षा उपायों को अपनाकर और जागरूकता फैलाकर ही हम इस खतरे से बच सकते हैं।