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इस एक्स्प्रेसवे से खुल जाएगी बिहार के 8 जिलों की किस्मत, 519 किलोमीटर होगी लंबाई

इस एक्स्प्रेसवे से खुल जाएगी बिहार के 8 जिलों की किस्मत, 519 किलोमीटर होगी लंबाई

बिहार को उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को जोड़ने के लिए बन रहे हाईटेक एक्सप्रेसवे की योजना ने तीनों राज्यों के नागरिकों के लिए यात्रा को सुगम बनाने का नया रास्ता खोला है। इस एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, और यह बिहार के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। बिहार के आठ जिलों से गुजरने वाली गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 519 किलोमीटर है, जिसमें से 84.3 किलोमीटर उत्तर प्रदेश, 416 किलोमीटर बिहार और 18.97 किलोमीटर पश्चिम बंगाल में स्थित होगा। यह मार्ग दरभंगा, चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल और फारबिसगंज को सीधे जोड़ेगा, जिससे इन क्षेत्रों के विकास में तेजी आएगी।


यात्रा का समय होगा कम

वर्तमान में गोरखपुर से सिलीगुड़ी की यात्रा में 15 घंटे का समय लगता है, लेकिन नए एक्सप्रेसवे के निर्माण से यह समय घटकर केवल 9 घंटे रह जाएगा। इससे यात्रियों को काफी सुविधा मिलेगी, और आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि होने की संभावना है। इस एक्सप्रेसवे पर 25 जगह इंटरचेंज बनाए जाएंगे, जो कि स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे और अन्य मुख्य सड़कों को जोड़ेंगे। इसके अलावा, गंडक नदी पर 10 किलोमीटर लंबा पुल भी बनाया जाएगा, जो यात्रा को और भी सुगम बनाएगा।


केंद्र सरकार का समर्थन

इस प्रोजेक्ट के लिए एनएचएआई ने 32,000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की है, और इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, कुशीनगर, और देवरिया के 111 गांवों के भूमि अधिग्रहण के बाद विकसित किया जा रहा है।


आर्थिक प्रभाव

गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के निर्माण से न केवल यात्रियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि इससे क्षेत्रीय व्यापार और निवेश में भी वृद्धि होने की संभावना है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस एक्सप्रेसवे के साथ एनसीआर के गोएडा और ग्रेटर नोएडा में निवेश के अवसर बढ़ेंगे, जिससे बिहार और यूपी के लोग बेहतर आर्थिक स्थिति का लाभ उठा सकेंगे। गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे का निर्माण बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल यात्रियों के लिए समय और दूरी को कम करेगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। इस परियोजना के सफलतापूर्वक पूरा होने पर बिहार, उत्तर प्रदेश, और पश्चिम बंगाल के बीच के संबंध और भी मजबूत होंगे

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