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Industry in Bihar: 4 बड़ी इंडस्ट्री की शुरुआत से जगमग होगा बिहार,इन जिलों में लगेंगी फैक्ट्रियां,हजारों लोगों की मिलेगा रोजगार

क्ट्रियों के निर्माण से बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की उम्मीद बढ़ी है। उद्योग विभाग ने पर्यावरण के अनुकूल औद्योगिक सेटअप की शर्त रखी है, जिसे पूरा करने के बाद ही उत्पादन शुरू होगा।

Industry in Bihar: 4 बड़ी इंडस्ट्री की शुरुआत से जगमग होगा बिहार,इन जिलों में लगेंगी फैक्ट्रियां,हजारों लोगों की मिलेगा रोजगार
बिहार में लगेंगी फैक्ट्रियां- फोटो : freepik

Industry in Bihar: बिहार के उद्योग विभाग ने चार नई फैक्ट्रियों की स्वीकृति दी है, जिससे मुजफ्फरपुर, वैशाली, नालंदा और भागलपुर में महत्वपूर्ण औद्योगिक परियोजनाएं स्थापित होंगी। ये फैक्ट्रियां कैलसिंड पेट्रोलियम कोक, पारबॉयल्ड राइस, गन्ना बेस्ड इथेनॉल, बिस्किट और रस्क उत्पादन के लिए होंगी, जिससे 7,000 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। इन फैक्ट्रियों के निर्माण पर लगभग 318.65 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, और 2026 तक ये पूरी तरह से संचालित हो जाएंगी।

औद्योगिक विस्तार और ग्रामीण विकास

इन फैक्ट्रियों के निर्माण से बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की उम्मीद बढ़ी है। उद्योग विभाग ने पर्यावरण के अनुकूल औद्योगिक सेटअप की शर्त रखी है, जिसे पूरा करने के बाद ही उत्पादन शुरू होगा। कैलसिंड पेट्रोलियम कोक की फैक्ट्री लगने से भविष्य में एल्युमीनियम, स्टील, टाइटेनियम और सिंथेटिक ग्रेफाइट से संबंधित उद्योगों की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। कैलसिंड पेट्रोलियम कोक का उपयोग एल्युमीनियम, स्टील और टाइटेनियम को गलाने वाले एनोड और सिंथेटिक ग्रेफाइट के लिए फीड स्टॉक के रूप में किया जाता है।

स्वरोजगार और किसानों को मिलेगा लाभ

गन्ना बेस्ड इथेनॉल, पारबॉयल्ड राइस, बिस्किट और रस्क उत्पादन से स्थानीय किसानों और स्वरोजगार करने वालों को सीधे फायदा होगा। इथेनॉल के उत्पादन में मक्का का उपयोग होता है, और गन्ना आधारित इथेनॉल फैक्ट्री से किसानों को चीनी मिल के अलावा अतिरिक्त विकल्प मिलेगा। पारबॉयल्ड राइस की फैक्ट्री से भुजिया चावल का स्थानीय स्तर पर उत्पादन होगा और इसे नेपाल और पश्चिम बंगाल जैसे बाजारों में निर्यात किया जाएगा, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा।

पर्यावरण के प्रति उद्योगों की जिम्मेदारी

उद्योग विभाग ने फैक्ट्री मालिकों को पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों का उपयोग सुनिश्चित करने की शर्त रखी है। इसके अंतर्गत फैक्ट्री के निर्माण और संचालन के दौरान पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के उपाय किए जाएंगे। इन शर्तों के बिना उत्पादन की अनुमति नहीं दी जाएगी, जो इस पहल को अधिक टिकाऊ बनाता है।

ग्रामीण विकास में योगदान

इन फैक्ट्रियों से न केवल औद्योगिक बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों का भी विकास होगा। छोटे और मध्यम उद्योगों की स्थापना के लिए प्रेरणा मिलेगी, जिससे स्वरोजगार और लघु उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा। इससे स्थानीय व्यापार और सेवा क्षेत्रों में भी वृद्धि होगी, जिससे व्यापक आर्थिक विकास सुनिश्चित होगा।

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