CM Nitish Big Decision: बिहार में शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम करने और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जननी बाल सुरक्षा योजना (JBYS) के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि अब सीधे लाभुकों के खाते में भेजी जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने 15 जनवरी को इस योजना के डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) पोर्टल का शुभारंभ किया, जिससे इस प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाया जा सके।
डीबीटी पोर्टल: महिलाओं के खाते में सीधे राशि का भुगतान
इस नई व्यवस्था के तहत, संस्थागत प्रसव करने वाली महिलाओं को 48 घंटे के भीतर उनकी प्रोत्साहन राशि सीधे उनके बैंक खाते में स्थानांतरित की जाएगी। यह पहल 88 स्वास्थ्य संस्थानों में शुरू की गई है, और 20 जनवरी तक 25,448 महिलाएं इस पोर्टल पर पंजीकृत हो चुकी थीं। इनमें से 18,895 प्रसव हो चुके हैं, जिनमें 8,568 बच्चियों का जन्म हुआ है।
प्रोत्साहन राशि और भुगतान की प्रक्रिया
जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। 1 फरवरी 2025 से सभी भुगतान डीबीटी पोर्टल के माध्यम से अनिवार्य रूप से किए जाएंगे। राज्य स्वास्थ्य समिति ने सभी सिविल सर्जनों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया है कि सभी पंजीकृत प्रसूताओं को संस्थागत प्रसव के बाद दी जाने वाली राशि केवल पोर्टल के माध्यम से ही प्रदान की जाए।
योजना के उद्देश्यों पर एक नज़र
मातृ मृत्यु दर में कमी: संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देकर महिलाओं की मृत्यु दर को कम करना।
शिशु मृत्यु दर में कमी: सुरक्षित प्रसव के माध्यम से नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में कमी लाना।
संस्थागत प्रसव को बढ़ावा: अधिक से अधिक महिलाओं को अस्पताल में प्रसव के लिए प्रोत्साहित करना।
माता और शिशु के स्वास्थ्य की देखभाल: प्रसव के दौरान और बाद में मां और बच्चे के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना।
योजना का लाभ कैसे उठाएं?
इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में पंजीकरण कराना आवश्यक है। यह पंजीकरण आशा कार्यकर्ताओं की सहायता से किया जाता है। पंजीकरण के बाद, महिलाओं को प्रसव और शिशु जन्म के दौरान सभी आवश्यक सेवाओं और लाभों का पूर्ण रूप से फायदा मिलता है।
जननी बाल सुरक्षा योजना
जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत डीबीटी पोर्टल की शुरुआत से संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और महिलाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा में महत्वपूर्ण सुधार की उम्मीद है। इस पहल से शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलेगी, साथ ही महिलाओं को आर्थिक सहायता भी सुनिश्चित होगी।