Street food - केंद्र सरकार तय करेगी सबसे ज्यादा बिकनेवाले स्ट्रीट फूड ‘समोसे’ की साइज और रेट! संसद में भाजपा सांसद ने की मांग

Street food - समोसे और वड़ा पाव की साइज और कीमत अब केंद्र सरकार तय कर सकती है। इस संबंध में आज संसद में मांग की गई है.

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समोसे का रेट और साइज करने की मांग- फोटो : NEWS4NATION

New Delhi - देश के हर कोने में समोसा बिकता है। गांव के छोटे से होटलों से लेकर महंगे लग्जरी होटलों में समोसा सबसे बेस्ट स्ट्रीट फूड माना जाता है। हर जगह समोसे के साइज और रेट अलग होते हैं। लेकिन अब देश के हर कोने में समोसे की साइज और रेट एक हो सकते हैं। जिसको लेकर केंद्र सरकार फैसला ले  सकती  है। संसद में इसको लेकर मांग भी गई है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश की गोरखपुर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद रवि किशन ने संसद में देश भर के ढाबा, रेस्तरां और होटल में खान-पान के सामान की मात्रा, गुणवत्ता और मूल्य को लेकर कानून बनाने की मांग की है।

शून्य काल के दौरान   समोसा-बड़ापाव  का किया जिक्र

लोकसभा में बुधवार को शून्यकाल के दौरान रवि किशन ने मुंबई के वड़ा पाव और दिल्ली के चांदनी चौक व गोरखपुर के समोसा का जिक्र करते हुए कहा कि अलग-अलग जगहों पर इसका साइज और रेट अलग है। दाल तड़का का रेट 100 रुपये से 400 रुपये तक है। गोरखपुर सांसद ने कहा कि ढाबा से लेकर फाइव स्टार होटल तक खाद्य पदार्थों के लिए केंद्र सरकार को नियम और कानून बनाना चाहिए।

हर जगह अलग अलग रेट

रवि किशन ने कहा- “भारत सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। यहां छोटे-छोटे कस्बों से लेकर बड़े-बड़े महानगरों में लाखों ढाबे और होटल में प्रतिदिन करोड़ों लोग भोजन करते हैं। इन ढाबों और होटल के स्थान और स्तर के अनुसार खाद्य पदार्थों का मूल्य ग्राहकों से लिया जाता है। 

कहीं आप वड़ा पाव खाएंगे, बाहर अलग है, फाइव स्टार होटल में अलग है। समोसा का भी रेट कहीं कम, कहीं ज्यादा है। किसी ढाबे या होटल में किस सामान की मात्रा क्या होगी, ये मानकीकरण नहीं किया गया है। कहीं छोटी कटोरी में देता है। कहीं बड़ा समोसा मिलता है, कहीं छोटा।

बिना किसी रूल्स रेगुलेशन के चल रहा खाने का बाजार

उन्होंने कहा- “इतना बड़ा बाजार, जिसमें करोड़ों ग्राहक हैं, वो बिना किसी रुल्स और रेगुलशन के चल रहा है। प्रधानमंत्री ने 11 साल में कई क्षेत्रों में युगांतकारी परिवर्तन किए हैं, लेकिन यह क्षेत्र अछूता है। 

सरकार बनाए अलग कानून

सरकार से मांग है कि छोटे ढाबे से लेकर सामान्य होटल, अच्छे रेस्तरां, फाइव स्टार होटल आदि सभी स्थानों पर मिलने वाले खाद्य पदार्थों के मूल्य, गुणवत्ता और उसकी मात्रा को निर्धारित करने के लिए कानून बनाना चाहिए। ताकि देशवासियों को उचित मूल्य पर सही मात्रा में गुणवत्तायुक्त खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो सके। किसी ढाबे में तड़का दाल 100 रुपये में, किसी में 120 रुपये में, किसी में 250 रुपये में, किसी में 400 रुपये में।”

अगर केंद्र सरकार रवि किशन   की मांग को गंभीरत से लेता  है तो आनेवाले सालों में हर जगहों पर समोसा या वड़ा पाव जैसे फूड एक रेट पर मिलेंगे.