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PATNA HIGH COURT NEWS - LIC में नियमित होने के लिए दैनिक वेतनभोगी कर्मियों ने पीटिशन किया दायर, लेकिन एलआईसी को पक्षकार बनाना भूल गए, याचिका हुई खारिज

PATNA HIGH COURT NEWS - दस साल तक काम के बाद दैनिक वेतनभोगी कर्मियों ने LIC में रेगुलर होने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई। लेकिन इस दौरान जज ने यह कहकर उनकी मांगों को खारिज कर दिया उन्होंने LIC को पक्षकार नहीं बनाया है।

PATNA HIGH COURT NEWS - LIC में नियमित होने के लिए दैनिक वेतनभोगी कर्मियों ने पीटिशन किया दायर, लेकिन एलआईसी को पक्षकार बनाना भूल गए, याचिका हुई खारिज
LIC में रेगुलर करने की मांग खारिज- फोटो : ANAND VERMA. PATNA HIGH COURT

PATNA - पटना हाईकोर्ट ने एलआईसी द्वारा नियोजित चतुर्थ वर्गीय दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को दस वर्ष के बाद सेवा नियमित करने सम्बन्धी याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया।जस्टिस अंशुमान ने टुन्नू कुमार व अन्य की याचिकाओं को इस आधार पर ख़ारिज कर दिया कि उन्होंने एलआईसी को पक्षकार नही बनाया।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह से नौकरी में आये दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को सेवा नियमित किये जाने का अधिकार नहीं मिलता,भले ही उन्होंने कितने वर्ष नौकरी की हो। याचिकाकर्ताओं ने डिवीज़नल कमिश्नर, एलआईसी 17 फरवरी,2020 के उस आदेश को रद्द करने की मांग की,जिसमें उन्हें दस वर्ष दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में नौकरी करने के बाद भी हटा दिया।साथ ही  उनका वेतन भी बंद कर दिया गया।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सियाराम शाही ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को दस वर्ष की सेवा करने के उनकी सेवा नियमित की जानी चाहिए। दूसरी ओर एलआईसी की ओर से कोर्ट को ये बताया गया कि ये कर्मचारी एलआईसी  के विभिन्न शाखाओं में कार्य कर रहे थे। इन्हें  सेवा में रखने सम्बन्धी निर्णय लेने का अधिकार एलआईसी को है, न कि किसी अधिकारी को।

कोर्ट को बताया गया कि इस मामले आवश्यक एलआईसी को पक्षकार बनाया ही नही गया। साथ ही एलआईसी के विभिन्न शाखाओं में  इन कार्य की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न अधिकारियों द्वारा चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को नियुक्त किया गया।इन्हें कोई नियमित रूप से स्वीकृत पदों पर प्रक्रियाओं का पालन कर नियोजित नहीं किया गया था।

कोर्ट ने एलआईसी इन तर्कों को सुनने के बाद इन दैनिक वेतनभोगी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों द्वारा दायर याचिकायों को ख़ारिज कर दिया।





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