PATNA - भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा), बिहार ने शुक्रवार (October 18, 2024) को एक दूरगामी निर्णय पारित किया, जिसमें लैप्स हो चुके प्रोजेक्ट को पूरा करने का समाधान खोजने की बात कही गई है। इससे ऐसे आवंटियों को राहत मिलेगी, जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई इस प्रोजेक्ट में लगाई है। अगर प्रमोटर निबंधन अवधि के अंत तक निबंधित प्रोजेक्ट को पूरा करने में विफल रहता है, तो प्रोजेक्ट लैप्स हो जाता है।
रेरा बिहार के अध्यक्ष विवेक कुमार सिंह और सदस्य एसडी झा की खंड पीठ ने अग्रणी होम्स प्राइवेट लिमिटेड की परियोजना आईओबी नगर ब्लॉक 'बी' से संबंधित आदेश सुनाते हुए आवंटियों के संघ द्वारा शेष विकास कार्य स्वयं पूरा करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया और मामले को रेरा अधिनियम की धारा 8 के तहत राज्य सरकार को परमर्श के लिये भेज दिया।
यहां यह बताना जरूरी है कि सरकार का जवाब मिलने के बाद आवंटियों के संघ को प्रोजेक्ट का रेरा बिहार में निबंधन करा कर इसे पूरा करने के लिए सौंप दिया जाएगा।
इस आदेश से कई ऐसे रुके हुए प्रोजेक्ट के आवंटियों के चेहरों पर खुशी आने वाली है, जो प्राधिकरण द्वारा इस संबंध में आदेश पारित होने के बाद एसोसिएशन बनाकर राहत पाने के लिए रेरा बिहार में मामला दर्ज करा सकते हैं और खुद प्रोजेक्ट पूरा करा सकते हैं।
श्वेता, गीता कुमारी, कृति कुमारी, मुकेश कुमार और डॉ राणा नागेंद्र कुमार सिंह सहित कई आवंटियों ने याचिकाएं दायर की थीं, जिन्होंने अग्रणी होम्स प्राइवेट लिमिटेड को 8.25 लाख रुपये से लेकर 27.19 लाख रुपये तक की राशि का भुगतान किया था, लेकिन प्रमोटर समय पर प्रोजेक्ट पूरा करने में विफल रहा। प्राधिकरण ने आदेश पारित करते हुए यह भी देखा कि इसी परियोजना से संबंधित अन्य मामलों में, धन वापसी के आदेश पारित किए गए थे, लेकिन प्रमोटर ऐसे आदेशों में उल्लिखित राशि का भुगतान भी नहीं किया।
परियोजना का निबंधन 31 अगस्त, 2019 को समाप्त हो गया था और उसके बाद प्रमोटर ने परियोजना में कोई रुचि नहीं दिखाई और निबंधन का विस्तार प्राप्त करने के लिए अपने नक्शे को फिर से मान्य नहीं कराया।
अपनी याचिका में, आवंटियों ने अग्रणी आईओबी ब्लॉक “बी” ओनर्स एसोसिएशन के गठन के बारे में एक स्व-घोषणा प्रस्तुत की और पैनल इंजीनियर द्वारा शेष निर्माण कार्य की अनुमानित लागत का विवरण भी प्रस्तुत किया .
प्राधिकरण ने प्रमोटर को शिकायत वाद मामले में उपस्थित होने के लिए कई अवसर प्रदान किए लेकिन प्रमोटर न तो खुद उपस्थित हुआ और न ही मामले की सुनवाई के लिए भेजे गए नोटिस का कोई जवाब प्रस्तुत किया। कोई विकल्प न होने पर, प्राधिकरण ने उपलब्ध तथ्यों और रिकॉर्ड के आधार पर मामले में अपना फैसला सुनाया।